iGrain India - मुम्बई । हालांकि महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात एवं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में खरीफ कालीन उड़द के नए माल की आपूर्ति शुरू हो चुकी है लेकिन इसकी क्वालिटी अच्छी नहीं है। दरअसल इन राज्यों में हाल के दिनों में हुई भारी बारिश से उड़द की क्वालिटी प्रभावित हुई है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर उड़द के बिजाई क्षेत्र में भी कमी आई है जिससे उत्पादन घटने की आशंका है। 2024-25 के मार्केटिंग सीजन हेतु उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7400 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है मगर कुछ मंडियों में इसका भाव घटकर इससे नीचे आ गया है।
उद्योग-व्यापार समीक्षकों के अनुसार मूसलाधार बारिश से उड़द की फसल इतनी बुरी तरह प्रभावित हुई है कि कई किसानों को पूरी की पूरी फसल से वंचित होना पड़ रहा है। जहां कटाई-तैयारी हो रही है वहां भी देना काफी कमजोर बताया जा रहा है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अधीनस्थ एगमार्कनेट के अनुसार पिछले सप्ताहांत के दौरान उड़द का भारित औसत मूल्य 6869 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया। चालू सप्ताह के दौरान उड़द का भारित औसत मूल्य 6869 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया।
चालू सप्ताह के आरंभ में उड़द का मॉडल मूल्य (जिस पर सर्वाधिक कारोबार होता है। कर्नाटक की बीदर मंडी में महज 5072 रुपए प्रति क्विंटल तथा महाराष्ट्र के अहमदनगर की करजात मंडी में 7400 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया।
लेकिन मध्य प्रदेश के इंदौर तथा उत्तर प्रदेश के कानपुर में उड़द का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कुछ ऊंचा रहा। कर्नाटक की विभिन्न मंडियों में उड़द का मॉडल मूल्य 4150 से 6600 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है जबकि महाराष्ट्र की मंडियों में यह 6500 से 7700 रुपए प्रति क्विंटल के मध्य बताया जा रहा है।
समीक्षकों के मुताबिक किसान इस हल्की क्वालिटी के माल की बिक्री जल्दी से जल्दी करना चाहते हैं और इसलिए मंडियों में इसकी भारी आवक हो रही है।
अब बारिश का दौर थमने लगा है लेकिन जब तक मार्केट में अच्छी क्वालिटी के माल की आवक नहीं बढ़ेगी तब तक कीमतों पर दबाव बरकरार रह सकता है।
सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उड़द खरीदने की घोषणा की है लेकिन इसके लिए दलहन अच्छी औसत क्वालिटी का होना आवश्यक है।