iGrain India - अबु धाबी । भारत सरकार द्वारा गैर बासमती सफेद चावल को निर्यात प्रतिबंध से मुक्त करने, सेला चावल पर निर्यात शुल्क में भारी कटौती करने तथा बासमती चावल के लिए नियत न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को वापस लेने से न केवल थाईलैंड वियतनाम एवं म्यांमार जैसे निर्यातक देशों के लिए चुनौती बढ़ गई है बल्कि पाकिस्तान के लिए भी खतरा बढ़ गया है।
अब खासकर बासमती चावल के लिए वैश्विक निर्यात बाजार में भारत और पाकिस्तान के बीच प्रतिस्पर्धा तेजी से बढ़ जाएगी। भारत में पिछले एक साल से बासमती चावल के लिए 950 डॉलर (पहले 1200 डॉलर) प्रति टन का मेप लगा हुआ था जिससे पाकिस्तान को विशेष फायदा हो रहा था मगर अब वह बेकफूट पर आ जाएगा। क्योंकि भारतीय निर्यातक भी अब प्रतिस्पर्धी मूल्य पर अपने बासमती चावल का निर्यात अनुबंध करने में सक्षम हो जाएंगे।
भारत और पाकिस्तान में चावल की निर्यात नीति में हुए बदलाव के कारण चालू सप्ताह के पहले दिन- वैश्विक बाजार में विभिन्न किस्मों एवं श्रेणियों में चावल के दाम में गिरावट दर्ज की गई।
भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश है इसलिए यहां होने वाले नीतिगत परिवर्तन का सीधा और गहरा असर वैश्विक बाजार पर पड़ता है।
सरकारी गोदामों में पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध होने तथा खरीफ कालीन उत्पादन बढ़ने की उम्मीद से केन्द्र ने चावल के निर्यात की नीति को काफी उदार बना दिया है।
हालांकि सफेद गैर बासमती चावल के लिए 490 डॉलर प्रति टन का मेप नियत किया गया है और सेला चावल पर 10 प्रतिशत का निर्यात शुष्क लगा हुआ है लेकिन इससे भारतीय चावल के निर्यात शिपमेंट पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।
उधर पाकिस्तान सरकार ने भी सभी किस्मों के चावल के लिए नियत न्यूनतम निर्यात मूल्य को वापस लेने की घोषणा कर दी है। वहां बासमती चावल के लिए 1300 डॉलर प्रति टन तथा गैर बासमती चावल के लिए 550 डॉलर प्रति टन का मेप लागू था।
उल्लेखनीय ही कि बासमती चावल का उत्पादन केवल भारत और पाकिस्तान में होता है और यही से इसका निर्यात भी किया जाता है।
28 सितम्बर को जारी एक अधिसूचना में पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री ने कहा था कि चावल निर्यातक संघ के आग्रह पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को वापस लेने का फैसला किया गया है।