iGrain India - सिडनी । ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी भाग में सितम्बर माह के दौरान मौसम शुष्क रहने तथा घने कोहरे का प्रकोप होने से गेहूं, कैनोला एवं जौ सहित कई अन्य फसलों को भारी नुकसान हो रहा है।
साउथ ऑस्ट्रेलिया प्रान्त के फ्रीलिंग जिले गेहूं की औसत उपज दर सामान्यतः 5.5-6 टन प्रति हेक्टेयर रहती है मगर इस बार फसल की हालत इतनी खराब है कि उत्पादकता दर 2 टन तक भी पहुंचना मुश्किल है।
वहां सामान्य औसत की तुलना में इस बार महज एक-तिहाई बारिश हुई है। दक्षिण-पूर्वी भाग में फसल के बहुत कमजोर होने से राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न फसलों के उत्पादन अनुमान में आगे कटौती होने की संभावना है।
वैसे क्वींसलैंड तथा न्यू साउथ वेल्स प्रान्त के आधे उत्तरी भाग में फसलों की स्थिति काफी अच्छी बताई जा रही है। शुरूआती कटाई-तैयारी के आधार पर वहां (उत्तरी क्षेत्र में) फसलों का उत्पादन सामान्य औसत से ज्यादा या शानदार होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
लेकिन साउथ ऑस्ट्रेलिया, विक्टोरिया एवं न्यू साउथ वेल्स के दक्षिणी भाग में फसलों की हालत अच्छी नहीं है और कुछ क्षेत्रों में किसानों में पशु चारा के रूप में उपयोग करने के लिए उसकी कटाई शुरू कर दी है।
इसमें खाद्यान्न तथा कैनोला की फसल मुख्य रूप से शामिल है। ऑस्ट्रेलिया में शीत कालीन फसलों की कटाई-तैयारी का सीजन औपचारिक तौर पर आरंभ हो चुका है। लेकिन इसकी रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ने की संभावना है।
3 सितम्बर को जारी अपनी रिपोर्ट में सरकारी एजेंसी- अबारेस ने ऑस्ट्रेलिया में गेहूं का उत्पादन ओमान 291 लाख टन से बढ़ाकर 318 लाख टन, जौ का 115 लाख टन से बढ़ाकर 122 लाख टन तथा कैनोला का उत्पादन अनुमान 54 लाख टन से बढ़ाकर 55 लाख टन निर्धारित किया था
लेकिन उद्योग-व्यापार क्षेत्र का मानना है कि 3 दिसम्बर को जब एजेंसी की नई संशोधित रिपोर्ट जारी होगी तब उत्पादन अनुमान में कटौती हो सकती है।
ज्ञात हो कि अबारेस आमतौर पर तिमाही आधार पर अपनी रिपोर्ट जारी करती है। समीक्षकों के अनुसार सूखे मौसम एवं घने कोहरे से मसूर की फसल को भी जबरदस्त नुकसान हुआ है जिससे इसका उत्पादन घटकर 10-12 लाख टन के बीच सिमट सकता है।
गेहूं का उत्पादन भी 300 लाख टन से नीचे रहने की संभावना है। अन्य फसलों की पैदावार में गिरावट आएगी और कुल कृषि उत्पादन पिछले साल से काफी कम हो सकता है।