iGrain India - बोस्टन । अमरीकी मौसम पूर्वानुमान केन्द्र ने कहा है कि दक्षिण एशिया से मानसून अब धीरे-धीरे प्रस्थान कर रहा है लेकिन अधिकांश भागों में अब भी जोरदार बारिश का सिलसिला जारी है।
भारत के पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भाग में बारिश पहले कम हुई थी मगर हाल के दिनों में मूसलाधार वर्षा से वह कमी काफी हद तक पूरी हो जाएगी। देश के उत्तरी एवं पश्चिमोत्तर भाग में भी वर्षा की हालत सामान्य हो गई है।
हाल के सप्ताहों में देश के कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश होने के बाद अब धूप निकलने लगी है जिससे खासकर धान और कपास की फसल को तेजी से परिपक्व (मैच्योर) होने का अवसर मिल जाएगा।
धान का रकबा बढ़ा है और मानसून की भरपूर बारिश भी हुई है इसलिए चावल के उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। देश के अधिकांश भाग में 25 से 100 मि०मी० के बीच वर्षा हुई है जबकि कहीं-कहीं यह 200 मि०मी० तक पहुंच गई।
इससे खरीफ फसलों को कहीं फायदा तो कहीं नुकसान हुआ दक्षिण-पश्चिम मानसून की बिदाई यात्रा के दौरान भी कुछ क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना है।
लेकिन पूर्वी एशिया में मौसम शुष्क बना हुआ है। चीन के कई भागों में अनाज एवं तिलहन फसलों के लिए मौसम अनुकूल होने लगा है।
हिलोंग जियांग प्रान्त में हुई जोरदार बारिश का फसलों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है लेकिन दक्षिणी-पश्चिमी चीन में मूसलाधार वर्षा एवं बाढ़ से कुछ नुकसान होने की आशंका है।
वैसे यह बारिश धान की लेट बिजाई वाली फसल के लिए लाभदायक मानी जा रही है। दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्द चीन में वर्षा का सीजन जारी है। वहां इसकी सख्त जरूरत महसूस की जा रही थी क्योंकि बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर बहुत घट गया था।
फिलीपींस में यागी तूफान से प्रभावित इलाकों में हल्की बारिश होने से थोड़ी राहत मिली लेकिन वहां एक अन्य तूफान का प्रकोप शुरू होने की आशंका है जिससे धान की फसल को नुकसान हो सकता है।
उधर इंडोनेशिया एवं मलेशिया के पाम उत्पादक इलाकों में सीजनल बारिश होने से पाम की तुड़ाई में बाधा पड़ सकती है। जावा द्वीप में कहीं-कहीं भारी वर्षा हुई है।