iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय खाद्य कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वर्ष के दौरान खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 1108.57 लाख हेक्टेयर के उच्च स्तर पर पहुंच गया जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 1088.25 लाख हेक्टेयर से करीब 2 प्रतिशत ज्यादा है।
यह रकबा पिछले पांच साल के सामान्य औसत क्षेत्रफल 1096 लाख हेक्टेयर से भी करीब 12.50 लाख हेक्टेयर अधिक है। पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान धान, दलहन, तिलहन एवं मोटे अनाजों के रकबे में बढ़ोत्तरी हुई है और गन्ना का क्षेत्रफल भी बढ़ा है मगर कपास का बिजाई क्षेत्र काफी घट गया है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून की भरपूर बारिश से खरीफ फसलों को आमतौर पर फायदा हुआ मगर कई इलाकों में अत्यन्त अधिशेष वर्षा एवं भयंकर बाढ़ के प्रकोप से फसलों को नुकसान होने की खबर भी मिलती रही है।
बिहार के डेढ़ दर्जन से अधिक जिले पिछले 10-12 दिन से विनाशकारी बाढ़ की चपेट में बुरी तरह फंसे हुए हैं। इससे पहले महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, गुजरात तथा राजस्थान के कई जिलों में मूसलाधार वर्षा, बाढ़ तथा खेतों में जल जमाव के कारण खरीफ फसलें क्षतिग्रस्त हो गई थीं।
इससे पता चलता है कि वहां उत्पादन में कमी आ सकती है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर भी उत्पादन का आंकड़ा प्रभावित होगा।
दलहन फसलों में उड़द एवं मूंग की फसल कई इलाकों में प्रभावित हुई है। इसी तरह तिलहन फसलों में सोयाबीन एवं तिल की फसल को नुकसान बताया जा रहा है।
कहीं-कहीं धान तथा मोटे-अनाजों की सल भी क्षतिग्रस्त हुई है। खरीफ फसलों की कटाई-तैयारी का सीजन आरंभ हो गया है और उत्पादन की वास्तविक तस्वीर दिसम्बर तक स्पष्ट होने की उम्मीद है।