iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय पूल में चावल का विशाल स्टॉक मौजूद है और खरीफ कालीन धान की आवक शुरू हो गई है जिससे आगामी महीनों में स्टॉक और भी बढ़ते रहने की उम्मीद है।
सरकार ने हाल ही में चावल की निर्यात नीति को उदार बनाया है जिससे घरेलू बाजार में इसका दाम मजबूत होने लगा है। ज्ञात हो कि सरकार ने आनन-फानन में चावल निर्यात के सम्बन्ध में तीन महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
सबसे पहले बासमती चावल के लिए नियत 950 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को समाप्त कर दिया गया। इसके बाद गैर बासमती चावल पर निर्णय लिए गया।
इसके तहत सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाते हुए सेला चावल पर लागू 20 प्रतिशत के निर्यात शुल्क को घटाकर 10 प्रतिशत निर्धारित किया गया।
इसके बाद एक और अधिसूचना जारी करके गैर बासमती सफेद चावल के लिए 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य नियत किया गया।
सफेद चावल का निर्यात खुलने से भारतीय निर्यातकों को अपना खोया हुआ बाजार दोबारा प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। लेकिन घरेलू बाजार पर इसका मनोवैज्ञानिक असर पड़ने की संभावना है।
सेला चावल की विशाल मात्रा का पहले से ही निर्यात हो रहा है और यदि सफेद चावल का शिपमेंट बेतहाशा बढ़ता है तो कीमतों में स्वाभविक रूप से मजबूती बरकरार रहेगी।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार सफेद चावल तथा बासमती चावल का भाव फिलहाल गत वर्ष से कुछ नीचे है लेकिन जल्दी ही इसमें तेजी का माहौल बन सकता है।
बासमती धान का भाव अभी 3100-3200 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है जबकि गत वर्ष 3500 रुपए प्रति क्विंटल था। एक समय यह घटकर 2800-2900 रुपए रह गया था।
बासमती धान की आवक जल्दी ही जोर पकड़ने की संभावना है लेकिन पश्चिम एशिया में जारी लड़ाई से निर्यातक कुछ विचलित हो रहे हैं।