iGrain India - नई दिल्ली । एक तरफ सरकार ने चावल का निर्यात पूरी तरह खोल दिया है तो दूसरी ओर घरेलू प्रभाग में खरीफ कालीन धान के नए माल की आवक शुरू हो गई है।
इससे धान-चावल की कीमतों के बारे में अनुमान लगाना कठिन हो गया है। कृषि जिंसों के बाजार की एक अग्रणी रिसर्च फर्म- आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर- राहुल चौहान का कहना है कि धान-चावल की कीमतों में स्थायी टूर पर जोरदार तेजी आने की संभावना बहुत कम है क्योंकि इस बार धान की फसल अच्छी हालत में है और चावल का उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं।
कीमतों में समय-समय पर तेजी आ सकती है मगर वह स्थायी नहीं होगी। इस बार सामान्य श्रेणी के साथ-साथ प्रीमियम क्वालिटी के बासमती धान का भी शानदार उत्पादन होने की उम्मीद है।
बासमती चावल के एक अग्रणी निर्यातक प्रतिष्ठान की भी राय लगभग ऐसी ही है। उसके अनुसार सरकार ने बासमती चावल का मेप हटा दिया है और गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात खोल दिया है।
वैश्विक बाजार पर इसका असर निश्चित रूप से पड़ेगा और चावल के दाम में कुछ नरमी आएगी। भारत संसार में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है और अब वह एक बार फिर वैश्विक बाजार में धमाकेदार प्रवेश करने के लिए तैयार है।
विश्लेषकों के अनुसार प्रतिबंध से पूर्व भारत से करीब 160 लाख टन गैर बासमती चावल का वार्षिक निर्यात हो रहा था जिसमें लगभग 90 लाख टन सफेद (कच्चा) चावल तथा 70 लाख टन सेला (पक्का) चावल का शिपमेंट शामिल था।
अब इस 90 लाख टन चावल का बाजार भारत के लिए पुनः खुल गया है। सेला चावल भी प्रतिस्पर्धी स्तर पर बना हुआ है। चूंकि सेला चावल पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है
इसलिए इसकी प्रतिस्पर्धी क्षमता में भी सुधार आना निश्चित है। निर्यातकों के मुताबिक सरकार ने बिलकुल सही समय पर बासमती चावल का मेप समाप्त किया है जिससे इसका निर्यात तेजी से बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
भारत के निर्णय से पाकिस्तान को झटका लगेगा और उसे कम दाम पर बासमती चावल का निर्यात ऑफर देने में सफलता नहीं मिलेगी क्योंकि भारतीय निर्यातकों के पास भी इसका अवसर मौजूद रहेगा। गैर बासमती सफेद चावल के क्षेत्र में थाईलैंड और पाकिस्तान की कठिनाई बढ़ेगी।