iGrain India - अहमदाबाद । पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान कपास के बिजाई क्षेत्र में अच्छी गिरावट आई है और कई क्षेत्रों में बाढ़-वर्षा से फसल को नुकसान भी हुआ है। इसके फलस्वरूप रूई का उत्पादन काफी घटने की संभावना है।
रूई का पिछला बकाया स्टॉक भी कम बचा हुआ है जिससे इसकी मांग एवं आपूर्ति के बीच अंतर बढ़ सकता है और इसे पूरा करने के लिए 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में विदेशों से रूई का आयात बढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
उद्योग-व्यापार क्षेत्र के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रचलित कमजोर भाव का फायदा उठाकर भारतीय आयातकों ने नवम्बर-मार्च डिलीवरी के लिए रूई का आयात अनुबंध भी कर लिया है।
एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- कॉटन ऐसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने 2024-25 सीजन के दौरान रूई का कुल आयात उछलकर 35 लाख गांठ तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया है। इसके सापेक्ष 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में अगस्त 2024 तक देश में कुल 16.40 लाख गांठ रूई का आयात हुआ।
एसोसिएशन के अध्यक्ष के मुताबिक कपास के बिजाई क्षेत्र में 12-13 लाख हेक्टेयर की गिरावट आ गई। इसके अलावा किसानों के पास कपास का पिछला स्टॉक नगण्य है जबकि गत वर्ष करीब 30 लाख गांठ का स्टॉक उपलब्ध था।
अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) ने भारत में 2024-25 के वर्तमान सीजन में रूई का उत्पादन घटकर 240 लाख गांठ (480 पौंड की प्रत्येक गांठ) पर सिमट जाने का अनुमान लगाया है जो 2023-24 सीजन के उत्पादन 258 लाख गांठ से 18 लाख गांठ या 7 प्रतिशत कम है। रूई पर लगे आयात शुल्क को वापस लेने की मांग की जा रही है।