iGrain India - साप्ताहिक समीक्षा-सरसों ऊंचे दाम पर मिलर्स की कमजोर मांग से सरसों में आई नरमी नई दिल्ली । पिछले कुछ दिनों से सरसों के थोक मंडी भाव में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ था और अधिकांश मंडियों में इसका दाम बढ़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर पहुंच गया था। केन्द्र सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में की गई वृद्धि के निर्णय का भी तिलहन-तेल बाजार पर सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन इस सबके बावजूद 27 सितम्बर से 3 अक्टूबर वाले सप्ताह के दौरान कीमतों में 100-150 रुपए प्रति क्विंटल की नरमी देखी गई। समझा जाता है कि ऊंचे दाम पर क्रशर्स-प्रोसेसर्स की मांग कमजोर पड़ने से कीमत नीचे आ गई। 42% कंडीशन सरसों समीक्षाधीन अवधि के दौरान 42 प्रतिशत कंडीशन वाली सरसों का दाम दिल्ली में 100 रुपए घटकर 6700 रुपए प्रति क्विंटल रह गया मगर जयपुर में 25 रुपए सुधरकर 7025 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। गुजरात / एमपी / राजस्थान गुजरात की धनेरा मंडी तथा हरियाणा की सिरसा मंडी में सरसों 100-100 रुपए कमजोर रही। मध्य प्रदेश के मुरैना एवं पोरसा में इसका भाव 150-150 रुपए प्रति क्विंटल नीचे आया जबकि सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- राजस्थान की विभिन्न मंडियों में सरसों के मूल्य में 100 से 150 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। उत्तर प्रदेश के हापुड़ तथा आगरा में सरसों का भाव 50-50 रुपए गिरकर क्रमश: 6950 रुपए तथा 7100/7650 रुपए प्रति क्विंटल रह गया। सरसों तेल सरसों का भाव घटने से सरसों तेल के दाम में भी नरमी आ गई। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एक्सपेलर का मूल्य दिल्ली में 10 रुपए की नरमी के साथ 1395 रुपए प्रति 10 किलो, मुरैना में 30 रुपए घटकर 1420 रुपए, गंगानगर में 70 रुपए लुढ़ककर 1320 रुपए, भरतपुर में 30 रुपए घटकर 1420 रुपए तथा कोटा में 26 रुपए गिरकर 1425/1426 रुपए प्रति 10 किलो पर आ गया। आवक प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में सरसों की आवक 27 सितम्बर को 2.90 लाख बोरी, 28 सितम्बर को 2.40 लाख बोरी, 30 सितम्बर को 3.25 लाख बोरी, 1 अक्टूबर को 3.50 लाख बोरी तथा 3 अक्टूबर को 2.25 लाख बोरी दर्ज की गई। सरसों की प्रत्येक बोरी 50 किलो की होती है।डीओसी (खल)सरसों का भाव कमजोर पड़ने से इसके खल एवं डीओसी में भी गिरावट आ गई। सरसों डीओसी का भाव 500 से 800 रुपए प्रति टन तक नीचे आया जबकि खल की कीमतों में 30 से 100 रुपए प्रति क्विंटल तक की गिरावट देखी गई। सरसों की बिजाई जल्दी ही जोर पकड़ने की संभावना है। आकर्षक बाजार भाव से किसानों को क्षेत्रफल बढ़ाने का प्रोत्साहन मिल सकता है।