iGrain India - गांधीनगर। देश के पश्चिमी भाग में अवस्थित प्रान्त - गुजरात कपास के बिजाई क्षेत्र की दृष्टि से महाराष्ट्र के बाद दूसरे नम्बर पर है जबकि इसके उत्पादन में प्रथम स्थान पर रहता है क्योंकि वहां औसत उपज दर ऊंची रहती है। गुजरात में लगभग 26.80 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुई है और इसका उत्पादन 92 लाख गांठ पहुंचने की सम्भावना है। कपास की औसत उपज दर भी बढ़कर 599 किलो प्रति हेक्टेयर पर पहुंचने का अनुमान है।
उल्लेखनीय है कि आज यानी 7 अक्टूबर को विश्व कपास दिवस मनाया जा रहा है। गुजरात के कृषि मंत्री ने कहा है कि वर्ष 1960 में जब इस राज्य का गठन हुआ था तब कपास की औसत उपज दर 139 किलो प्रति हेक्टेयर थी जो समय के साथ बढ़ते हुए अब 589 किलो प्रति हेक्टेयर पर पहुंच गयी है। इससे कपास के क्षेत्र में हो रहे उत्कृष्ट अनुसंधान, सरकार की किसान हितैषी नीतियों तथा कृषक समुदाय के अथक प्रयासों का स्पष्ट संकेत मिलता है। समेकित प्रयासों के बल पर गुजरात कपास के उत्पादन में शीर्ष पर पहुंचा है। शानदार उत्पादन से किसानों की आमदनी में भारी बढ़ोत्तरी हुई है।
कृषि मंत्री के अनुसार सूरत की एक रिसर्च फर्म द्वारा वर्ष 1971 में हाइब्रिड-4 कॉटन वेरायटी का विकास किए जाने के बाद समूचे देश में हाइब्रिड कपास के नए दौर का आरम्भ हो गया और इसके फलस्वरूप कपास की घरेलू उपज दर में भारी बढ़ोत्तरी होने लगी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 2021-22 के सीजन में गुजरात देश के दूसरा सबसे प्रमुख कपास उत्पादक राज्य बन गया था जब वहां इसका बिजाई क्षेत्र 22.45 लाख हेक्टेयर तथा कुल उत्पादन 73.88 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) दर्ज किया गया था। उस समय कपास की औसत उपज दर 559 किलो प्रति हेक्टेयर रही थी। कृषि मंत्री के अनुसार आगामी वर्षों के दौरान गुजरात भारत का सबसे प्रमुख कपास उत्पादक प्रान्त बन जाएगा क्योंकि सरकार की ओर से किसानों को अनेक प्रोत्साहन दी जा रहे हैं और अनुसंधान तथा विकास का कार्य भी जारी है। गुजरात में बी टी कॉटन की खेती होती है। देश के अन्य राज्यों में भी इसकी खेती होती है।