iGrain India - विजयवाड़ा। दक्षिण भारतीय राज्य - आंध्र प्रदेश में एक तो कपास के बिजाई क्षेत्र में कुछ गिरावट आई है और दूसरे, बाढ़-वर्षा से भी कपास को काफी नुकसान हुआ है। विभिन्न मंडियों में कपास के नए माल की आवक शुरू हो गयी है मगर इसका दाम सरकारी समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा हैजिससे किसानों को काफी घाटा हो रहा है। इसे देखते हुए भारतीय कपास निगम के राज्य ने प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में कपास की खरीद के लिए 33 क्रय केंद्र खोले हैं।
इस बार आंध्र प्रदेश में करीब 3.88 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुई है और इसकी औसत उपज दर 15-20 क्विंटल रहने की सम्भावना है। सरकारी क्रय केन्द्रों पर किसान दो अलग-अलग चरणों में अपने उत्पाद की बिक्री कर सकते हैं। भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने किसानों को कपास खरीद मूल्य का भुगतान एक सप्ताह के अंता करने का प्रबंध किया है।
किसानों का कहना है कि प्राइवेट व्यापारी घटिया क्वालिटी का हवाला देकर काफी कम दाम पर कपास खरीदने का प्रयास कर रहे हैं। किसानों को कई कारणों से कम मूल्य पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है। एक तो सफ़ेद कपास (रॉ कॉटन) का रंग बदरंग हो गया है और दुसरे, कपास के रेशे की लम्बाई भी छोटी हो गयी है। इसके अलावा कपास में नमी का अंश ज्यादा है इसलिए व्यापारी उसकी खरीद करने से हिचक रहे हैं। किसानों की चिंता एवं विवशता को देखते हुए केंद्र सरकार ने अपनी अधीनस्थ एजेंसी-भारतीय कपास निगम (सीसीआई) को सक्रिय होने का निर्देश दिया और तदनुरूप वह एजेंसी भी तुरंत हरकत में आ गयी।
केंद्र सरकार ने कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 500 रुपए बढ़ाकर मध्यम रेशे वाली किस्म के लिए 7521 रुपए प्रति क्विंटल निर्धरित किया है। सीसीआई ने 33 क्रय केंद्र खोलने का निर्णय लेते हुए आने जिनिंग मिलों को खरीद केंद्र के रूप में अधिसूचित किया है और जिन इलाकों में जिनिंग मिलें नहीं हैं वहां स्थानीय थोक मंडी के परिसर में क्रय केंद्र खोला गया है।
सीसीआई के पास कपास का पिछला स्टॉक बहुत कम बचा हुआ है उसने किसानों से आग्रह किया है कि वे प्लाटिक या जूट (गन्नी) बोरियों में पैकिंग करके कपास न लाएं बल्कि उसे खुले रूप में ही लेकर क्रय केन्द्रों में पहुंचे ताकि उसमें नमी का अंश कम रहे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इसकी बिक्री करने में कोई कठिनाई न हो।