iGrain India - करनाल । पिछले सीजन की तुलना में वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान बासमती धान के थोक मंडी भाव में जोरदार गिरावट आने से उत्पादकों की चिंता और परेशानी बढ़ती जा रही है।
किसानों को आशंका है कि जब नए धान की भारी आवक होगी तब कीमतों में और भी कमी आ सकती है। चूंकि बासमती धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का निर्धारण नहीं होता है और न ही सरकारी एजेंसियां इसकी खरीद करती हैं इसलिए कीमतों में उतार-चढ़ाव मुख्यत: राइस मिलर्स, व्यापारियों एवं निर्यातकों की मांग पर निर्भर रहता है।
एक उत्पादक संगठन के अनुसार 2023-24 के खरीफ मार्केटिंग सीजन में क्वालिटी एवं श्रेणी के आधार पर बासमती धान का भाव 3500 से 5000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा जो चालू मार्केटिंग सीजन में लुढ़ककर 2200 से 2600 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रह गया है।
नए धान की कटाई-तैयारी आरंभ हो चुकी है और शीघ्र ही इसकी आवक जोर पकड़ने वाली है। यदि कीमतों में सुधार नहीं आया तो किसानों को भारी घाटा हो सकता है।
पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मंडियों में किसानों को अपने बासमती धान का लाभप्रद मूल्य हासिल करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है।
जानकारों का कहना है कि कुछ खास कारणों से राइस मिलर्स एवं निर्यातक अभी ऊंचे दाम पर बासमती धान की खरीद करने से हिचक रहे हैं।
पहली बात तो यह है कि पाकिस्तान के निर्यातक सस्ते दाम पर अपने बासमती चावल का निर्यात कर रहे हैं जिससे भारतीय निर्यातकों को भी चावल का ऑफर मूल्य नीचे रखना पड़ रहा है। इसके अलावा ईरान- इजरायल विवाद के कारण पश्चिम एशिया में चावल का निर्यात परिदृश्य अनिश्चित हो गया है।
ईरान स्वयं भारतीय बासमती चावल का अग्रणी आयातक देश है। वैसे फिलहाल वहां चावल के आयात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। यह प्रतिबंध अक्टूबर के अंत तक समाप्त होने की संभावना है।
भारत सरकार ने बासमती चावल के लिए लागू 950 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को वापस ले लिया है। पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान बासमती धान के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है और मौसम भी अनुकूल रहा है जिससे बासमती चावल का उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं।