iGrain India - नई दिल्ली । परम्परागत रूप से भारत में अच्छी क्वालिटी के चना की दाल से बेसन का निर्माण होता रहा है लेकिन इस वर्ष चना का भाव काफी ऊंचा होने से सस्ती पीली मटर के बेसन की इसमें मिलावट होने की आशंका है।
इससे पारदर्शिता के बारे में चिंता बढ़ गई है और कहा जा रहा है कि आम उपभोक्ताओं को शुद्ध चना दाल वाले बेसन के बजाए मिलावटी बेसन खरीदना पड़ रहा है।
पीली मटर का भाव नीचे है इसलिए उससे निर्मित बेसन सस्ता होता है। हैरत की बात है कि इस मिलावटी की आशंका के बावजूद बेसन का भाव ऊंचा चल रहा है और यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि वह चना दाल से ही निर्मित है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि पीली मटर भी खपत के लिए सुरक्षित उत्पाद है और इसे चना दाल के एक विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
मटर से निर्मित बेसन का मिश्रण यानी चना दाल वाले बेसन में किया जाता है तो उससे मानवीय स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं है मगर इस मिश्रित बेसन का दाम काफी नीचे होना चाहिए था और इसकी पैकिंग पर मिश्रण का स्पष्ट उल्लेख भी होना चाहिए था।
पीली मटर का दाम 35-40 रुपए प्रति किलो तथा चना का भाव 74-75 रुपए प्रति किलो (थोक मंडी भाव) चल रहा है। जब साबुत उत्पाद के मूल्य में इतना भारी अंतर है तो इससे निर्मित (मिलावटी) उत्पादों का दाम एक समान रखना सही नहीं है।
इससे मिलावट करने वालों को तो भारी मुनाफा हो रहा है मगर शुद्ध चना दाल से बेसन का निर्माण एवं कारोबार करने वाली नामी-गिरामी कंपनियों को नुकसान हो रहा है।
बेसन का खुदरा मूल्य 110 रुपए प्रति किलो या इससे ऊपर चल रहा है जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि मिश्रण करने वाली फर्में भारी मुनाफा कमा रही हैं लेकिन आम उपभोक्ताओं को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
पीली मटर से मिश्रित बेसन का दाम 50 रुपए प्रति किलो के आसपास होना चाहिए मगर बाजार में ऐसा नहीं देखा जा रहा है। यह पता लगाना भी मुश्किल है कि मिश्रण का अनुमान कितना रहता है।
इसका पता लगाने के लिए सरकारी एजेंसियों को बेसन के सैम्पल की जांच करवानी चाहिए। दीपावली तक बेसन की भारी मांग बरकरार रहेगी।