iGrain India - सस्काटून । कनाडा के अग्रणी व्यापार विश्लेषक ने कहा है कि भारत में आमतौर पर लगभग 12-14 लाख टन मसूर का वार्षिक आयात किया जाता है लेकिन इस वर्ष यदि सरकार अपने पास मौजूद स्टॉक को घरेलू बाजार में उतारने का प्रयास करती है तो विदेशों से इसका आयात घटकर 8 लाख टन के आसपास सिमट सकता है।
कनाडा का लाल मसूर बाजार भारत सरकार के निर्णय पर अटका हुआ है और भविष्य का प्लान बनाने में उसे कठिनाई हो रही है। यह स्वाभाविक भी है क्योंकि भारत उसका सबसे बड़ा खरीदार है और इस बार कनाडा में उत्पादन भी बेहतर हुआ है।
विश्लेषक का मानना है कि कृषि मंत्रालय की अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) के पास अभी लगभग 8 लाख टन मसूर का विशाल स्टॉक मौजूद है और वह इसे बाजार में उतारने की कोशिश कर सकता है।
एसजीआर एग्री फर्म के मैनेजिंग पार्टनर विनोद अग्रवाल को लगता है कि नैफेड अपने कुल स्टॉक में से लगभग 6 लाख टन मसूर को घरेलू बाजार में उतारने का प्रयास कर सकता है।
अभी तक नैफेड के पास 8 लाख टन से अधिक मसूर का स्टॉक पहले कभी नहीं रहा। आयात के जारी रहने के साथ यदि सरकारी स्टॉक भी बाजार में आ गया तो मसूर के दाम पर दबाव बढ़ जाएगा।
विश्लेषक के मुताबिक यह निश्चित रूप से कहना असंभव है कि नैफेड आगे क्या करेगा क्योंकि वह कभी भी बाजार को पूरी स्पष्टता के साथ कोई जानकारी नहीं देता है।
स्वाभाविक रूप से यह एजेंसी स्वदेशी उत्पादकों के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना चाहेंगी और घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश भी करेगी।
वर्तमान समय में भारत में मसूर का भाव चिंताजनक स्तर तक ऊपर नहीं पहुंचा है इसलिए नैफेड भी अपने स्टॉक को घरेलू बाजार में उतारने में जल्दबाजी नहीं दिखा रहा है।
हालांकि केन्द्र सरकार ने 2023-24 के रबी सीजन के दौरान देश में मसूर का उत्पादन बढ़कर 17.90 लाख टन की ऊंचाई पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है लेकिन उद्योग-व्यापार क्षेत्र का मानना है कि लाल मसूर का उत्पादन वस्तुतः 10 लाख टन के आसपास ही हुआ।
वास्तविक उत्पादन के बारे में किसी के पास कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। यदि अगला उत्पादन बेहतर हुआ और नैफेड ने भी अपना स्टॉक बेचना शुरू किया तो भारत में मसूर का आयात घटकर 8 लाख टन से भी नीचे रह सकता है।
31 मार्च 2025 तक मसूर का आयात सीमा शुल्क से मुक्त है लेकिन इसकी समय सीमा आगे बढ़ाई जा सकती है। कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया को कजाकिस्तान तथा रूस की प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। कजाकिस्तान से 2.50 लाख टन तथा रूस से 1.00 लाख टन मसूर का निर्यात होने की उम्मीद है।