iGrain India - चंडीगढ़ । पंजाब में मूंग की खरीद का मामला इस वर्ष किसानों एवं राज्य सरकार के बीच दूरी बढ़ाने में महत्वपूर्ण कारक बना हुआ है। सरकारी खरीद के अभाव में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे दाम पर अपनी मूंग की बिक्री करने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
समझा जाता है कि पंजाब सरकार द्वारा चालू वर्ष में अभी तक किसानों से मूंग का एक दाना भी नहीं खरीदा गया है जबकि प्राइवेट व्यापारी कम दाम पर इसकी खरीद कर रहे हैं। इससे किसानों को घाटा हो रहा है।
दो वर्ष पूर्व जब मौजूदा सरकार सत्ता में आई थी तब उसने घोषणा की थी कि फसल विविधिकरण कार्यक्रम प्रोत्साहित करने के लिए किसानों से एमएसपी पर इस दलहन (मूंग) की खरीद की जाएगी लेकिन उत्पादकों का कहना है कि किसी भी मंडी में इसकी सरकारी खरीद नहीं हुई है और इसलिए उसे प्राइवेट व्यापारियों के हाथों समर्थन मूल्य से कम दाम पर इसे बेचना पड़ रहा है।
मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल के 8555 रुपए प्रति क्विंटल से 1.4 प्रतिशत बढ़ाकर इस बार 8682 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जबकि पंजाब में किसानों को इससे 800-900 रुपए प्रति क्विंटल कम दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ा।
वैसे सरकारी आश्वासन के बाद किसानों ने मूंग का क्षेत्रफल बढ़ा दिया था और इसकी औसत उपज दर भी ऊंची रही थी इसलिए किसानों को अपने घाटे को कम करने में कुछ हद तक सफलता मिल गई।
उत्पादक संगठनों का कहना है कि यदि सरकार कोई नीति बनाती है तो उसे उसका पालन (क्रियान्वयन) भी अवश्य करना चाहिए। पंजाब सरकार ने पहले नीति तो लागू की मगर महज दो वर्षों के अंदर इस पर अमल करना छोड़ दिया।
इस तरह किसानों को बाजार के भरोसे छोड़ देना अच्छी बात नहीं है और किसान आगे मूंग की खेती से हतोत्सहित हो सकते हैं। ऐसी हालत में फसल विविधिकरण योजना की सफलता खटाई में पड़ जाएगी। इससे किसानों ने दोबारा धान की तरफ रूख किया है जिससे राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।