iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाए जाने तथा सेला चावल पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत निर्धारित किए जाने के बाद घरेलू प्रभाग में इसके दाम में 10 से 15 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया है।
दूसरी ओर वैश्विक बाजार में चावल का भाव 15 प्रतिशत तक नीचे आ गया है। जानकारों का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय चावल की अच्छी मांग निकलने लगी है और भारतीय निर्यातकों ने घरेलू बाजार से भारी मात्रा में इसका उठाव शुरू कर दिया है जिससे कीमतों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ रहा है।
हालांकि सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त भंडार मौजूद है और खरीफ कालीन धान की आवक तथा खरीद शुरू हो जाने से आगामी महीनों में स्टॉक निरन्तर बढ़ते जाने की उम्मीद है लेकिन जब तक खुले बाजार में आपूर्ति एवं उपलब्धता नहीं बढ़ेगी
तब तक चावल के दाम में तेजी-मजबूती का रूख बरकरार रह सकता है क्योंकि जो भी अधिशेष स्टॉक है उसका निर्यात तेजी से होता रहेगा। अफ्रीकी देश भारतीय सफेद चावल की भारी खरीद करने लगे हैं।
उधर थाईलैंड में विशिष्ट किस्म के चावल का भाव 800 डॉलर से घटकर 710 डॉलर प्रति टन पर आ गया है। भारतीय सफेद चावल का निर्यात खुलने से थाईलैंड के साथ-साथ वियतनाम, म्यांमार एवं पाकिस्तान जैसे अन्य प्रमुख निर्यातक देशों को अपने चावल का निर्यात ऑफर मूल्य घटाने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार पिछले आठ-दस दिनों के अंदर सभी किस्मों एवं श्रेणियों के चावल के घरेलू बाजार मूल्य में 10-15 प्रतिशत तक का इजाफा हो चुका है और निकट भविष्य में इसमें गिरावट आने की संभावना नहीं है।
2022-23 की तुलना में 2023-24 के दौरान भारत से चावल का निर्यात 6.5 प्रतिशत घटकर 10.42 अरब डॉलर पर सिमट गया। चावल के वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की भागीदारी 40-45 प्रतिशत के बीच रहती है। भारत संसार में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना हुआ है।