iGrain India - हैदराबाद । केन्द्र सरकार द्वारा गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात को प्रतिबंध से मुक्त किए जाने के बाद वैश्विक बाजार भाव पर दबाव पड़ने लगा है। भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
सरकार ने जुलाई 2023 में जब सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था तब थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान एवं म्यांमार जैसे निर्यातक देशों ने स्थिति का फायदा उठाकर अपने चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में मनमानी बढ़ोत्तरी कर दी थी।
चूंकि भारतीय चावल हमेशा प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उपलब्ध रहता है इसलिए जब दोबारा इसका निर्यात खोला गया तब अन्य निर्यातक देशों को अपने कारोबार पर खतरा महसूस होने लगा और इसलिए उसे चावल का दाम घटाना पड़ रहा है।
यद्यपि भारत सरकार ने गैर बासमती सफेद चावल के लिए 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) निर्धारित किया है लेकिन वैश्विक बाजार में प्रचलित ऊंचे भाव को देखते हुए भारतीय चावल के निर्यात पर इस मेप का कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है।
लेकिन इतना अवश्य है कि नए माल की जोरदार आवक शुरू होने से पहले निर्यातकों की मजबूत मांग के कारण घरेलू बाजार में चावल का दाम 10-15 प्रतिशत तेज हो गया है जिससे निर्यात मार्जिन में कमी आ सकती है।
यह ध्यान रखना भी आवश्यक है कि गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल पर कोई निर्यात शुल्क लागू नहीं है जबकि सेला चावल पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत नियत किया गया है।
यह निर्णय चावल के निर्यात कारोबार को बढ़ाव देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। बासमती चावल का निर्यात प्रदर्शन भी बेहतर होने के आसार हैं क्योंकि इस पर लागू 950 डॉलर प्रति टन के मेप को समाप्त कर दिया गया है।