iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजार में पाकिस्तान की प्रतिस्पर्धा का सफलतापूर्वक सामना करने तथा स्वदेशी किसानों को उसके उत्पाद (धान) का ऊंचा मूल्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बासमती चावल के लिए नियत 950 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) की अनिवार्यता समाप्त कर दी है मगर फिर भी पूसा 1509 बासमती धान की कीमतों में लगभग स्थिरता का माहौल बना हुआ है और पिछले साल की तुलना में इसका दाम काफी नीचे चल रहा है।
उत्पादकों के अनुसार गत वर्ष 1509 बासमती धान का थोक मंडी भाव औसतन 3500/3600 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था जो चालू सीजन में घटाकर 2600/2700 रुपए प्रति क्विंटल रह गया है।
इससे पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को भारी घाटा हो रहा है जो इसका प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है। उत्पादकों का कहना है कि बासमती चावल के लिए नियत मेप को हटाए जाने की घोषणा का अभी तक धान की थोक मंडियों पर कोई सकारात्मक असर नहीं देखा जा रहा है।
मिलर्स एवं निर्यातकों ने बासमती धान की खरीद में दिलचस्पी कम कर दी है क्योंकि ईरान-इजरायल विवाद के कारण बासमती चावल का निर्यात प्रभावित होने की संभावना है।
ईरान ने सऊदी अरब तथा संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों को इस विवाद में नहीं उलझने और इजरायल सहयता नहीं करने की चेतावनी दी है। इससे वहां मामला गंभीर हो गया है।
सऊदी अरब का एक प्रमुख बंदरगाह जेद्दा है जो यमन की सीमा के पास स्थित है और यमन अभी ईरान के साथ है। वहां खतरा बढ़ गया है जिससे भारतीय निर्यातक भी चिंतित हैं।
सऊदी अरब भारतीय बासमती चावल का अग्रणी आयातक देश है जबकि संयुक्त अरब अमीरात भी भारत से अच्छी मात्रा में इसका आयात करता है।
निर्यातकों का कहना है कि पश्चिम एशिया में जब तक हालात सामान्य नहीं होते तब तक भारत से बासमती चावल के निर्यात पर संशय बरकरार रहेगा और घरेलू प्रभाग में बासमती धान की खरीद बिक्री प्रभावित होती रहेगी। इससे कीमतों में उछाल आना मुश्किल लगता है।