iGrain India - मेलबोर्न । वैश्विक स्तर पर लगभग 160 लाख टन चना (काबुली सहित) का वार्षिक उत्पादन होता है जिसमें अकेले भारत का योगदान 110-120 लाख टन के बीच यानी 70 प्रतिशत के करीब रहता है।
वैसे चालू वर्ष के दौरान भारत में उत्पादन सरकार 100-110 लाख टन के बीच रहना था। चना के उत्पादन में ऑस्ट्रेलिया दूसरे नम्बर पर तथा निर्यात में प्रथम स्थान पर रहता है।
इसके अलावा कनाडा सहित कई अन्य देशों में भी इसका उत्पादन होता है। चना के निर्यात बाजार में रूस दोबारा प्रवेश कर गया है जबकि अफ्रीका के कुछ देशों से भी इसका निर्यात होता है।
एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार भारत में पिछले कुछ वर्षों से देसी चना के आयात पर 66 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू था जिससे वहां अत्यन्त सीमित मात्रा में इसका आयात हो रहा था।
इन वर्षों में ऑस्ट्रेलिया को पाकिस्तान एवं बांग्ला देश सहित कुछ अन्य बाजार मिल गए। मई 2024 में भारत सरकार ने देसी चना के आयात को शुल्क कर दिया।
लेकिन इसकी समय सीमा 31 अक्टूबर तक ही रखी गई है। जबकि तक तक ऑस्ट्रेलिया में चना की फसल कटाई-तैयारी के चरण में ही रहती है। यदि इसकी अवधि आगे बढ़ाई गई तो ऑस्ट्रेलियाई किसानों एवं निर्यातकों को काफी राहत मिलेगी।
फिलहाल भारत में चना का भाव नए रिकॉर्ड स्तर पर चल रहा है और अब तक नए माल की आवक जोरदार ढंग से (मार्च-अप्रैल - 2025 में) शुरू नहीं होगी तब तक वहां इस महत्वपूर्ण दलहन के भारी आयात की आवश्यकता बनी रहेगी।
बांग्ला देश, संयुक्त अरब अमीरात तथा पाकिस्तान भी ऑस्टेलियाई चना के प्रमुख खरीदार है। ऑस्टेलिया में इस वर्ष चना के बिजाई क्षेत्र में अच्छी वृद्धि हुई है मगर मौसम पूरी तरह अनुकूल नहीं रहा।
इसके बावजूद वह इस दलहन का सबसे बड़ा निर्यातक देश बना रहेगा और इस पोजीशन को बरकरार रखने में उसे कोई परेशानी नहीं होगी।