iGrain India - कोच्चि । मौसम की हालत लगातार खराब होने से चालू वर्ष के दौरान छोटी इलायची की फसल को काफी नुकसान हुआ और इसलिए इसके उत्पादन में भारी गिरावट आने की संभावना है।
एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार पहले फरवरी से मई के दौरान मौसम अत्यन्त गर्म तथा शुल्क रहने तथा सूखे जैसा माहौल बनने से फसल को भारी क्षति हुई और बाद में जून से अगस्त के बीच जोरदार वर्षा ने बागानों को नुकसान पहुंचाया।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार खरीदार और विक्रेता- दोनों ही फिलहाल काफी सावधानी बरत रहे हैं क्योंकि इलायची का दाम 2000 रुपए प्रति किलो से ऊपर चल रहा है और नीलामी केन्द्रों में 2300 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है। इस मूल्य स्तर पर केवल बाजार की तत्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लायक माल की खरीद की जा रही है।
एक समीक्षक एवं नीलामीकर्ता के मुताबिक पिछले साल करीब 25 हजार टन छोटी इलायची का उत्पादन हुआ था जबकि चालू वर्ष में यह 30-40 प्रतिशत तक घटने की संभावना है।
वास्तविक स्थिति काफी खराब है और उत्पादन में गिरावट की दृष्टि से यह किसानों के लिए सबसे खराब वर्षों में से एक है। नीलामी केन्द्रों में जो माल आ रहा है उसमें 60-70 प्रतिशत नई फसल का तथा 30-40 प्रतिशत पुराने स्टॉक का माल शामिल रहता है।
फरवरी से मई के दौरान लम्बे समय तक सूखे का माहौल रहने से इलायची का फसल बुरी तरह प्रभावित हुई और इसलिए प्रथम चरण की तुड़ाई-तैयारी पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
जून-अगस्त की भारी बारिश से फसल पर फंगस के आघात का खतरा बढ़ गया जिससे इसकी उपज दर में गिरावट की आशंका पैदा हो गई। तेज हवा के प्रवाह से भी दाने झड़ गए।
इलायची की कीमतों में तो सकारात्मक रुख देखा जा रहा है लेकिन वैश्विक निर्यात बाजार और खासकर खाड़ी क्षेत्र के देशों में प्रीमियम क्वालिटी की भारतीय इलायची की मांग कमजोर पड़ गई है क्योंकि वहां ग्वाटेमाला की इलायची प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उपलब्ध है।
घरेलू प्रभाग में भी धन की तंगी एवं ऊंची कीमतों के कारण इलायची की मांग ज्यादा मजबूत नहीं है। दीपावली की मांग भी उत्सावर्धक नहीं मानी जा सकती।
नवम्बर के बाद इलायची में घरेलू एवं निर्यात मांग बढ़ने के आसार हैं। पश्चिम एशिया में जारी तनाव अभी निर्यात में खलल डाल रहा है।