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चावल के सबसे प्रमुख निर्यातक देश के तौर पर भारत का रुतवा बरकरार रहने के आसार

प्रकाशित 15/10/2024, 10:21 pm
चावल के सबसे प्रमुख निर्यातक देश के तौर पर भारत का रुतवा बरकरार रहने के आसार

iGrain India - नई दिल्ली । भारत पिछले 12-13 वर्षों से दुनिया में चावल का सबसे बढ़ा निर्यातक देश बना हुआ है और आगे भी बना रहेगा क्योंकि दूसरे एवं तीसरे नम्बर के निर्यातक देश- थाईलैंड तथा वियतनाम से यह बहुत आगे है।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2023-24 के दौरान भारत से करीब 165 लाख टन चावल का निर्यात हुआ जबकि थाईलैंड से 82 लाख टन, वियतनाम से 76 लाख टन, पाकिस्तान से 50 लाख टन अमरीका से 26.75 लाख टन, चीन से 22 लाख टन, कम्बोडिया से 19.50 लाख टन, म्यांमार से 18 लाख टन ब्राजील से 13 लाख टन तथा उरुग्वे से 8.50 लाख टन चावल का शिपमेंट किया गया। 

चूंकि भारत सरकार ने गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात पूरी तरह खोल दिया है, सेला चावल पर निर्यात शुल्क आधा घटा दिया है और बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को समाप्त कर दिया है इसलिए आगामी महीनों में भारतीय चावल का निर्यात तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।

इससे अन्य निर्यातक देशों का प्रदर्शन प्रभावित होने की संभावना है क्योंकि भारतीय चावल प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उपलब्ध रहता है। वर्तमान खरीफ सीजन के दौरान चावल का घरेलू उत्पादन उत्सावर्धक होने की उम्मीद है क्योंकि एक तो धान के क्षेत्रफल में इजाफा हुआ है और दूसरे, मानसून की भारी बारिश हुई है।

उत्पादन में वृद्धि होने से चावल का निर्यात योग्य स्टॉक बढ़ेगा और शिपमेंट में बढ़ोत्तरी होगी। सरकार के पास चावल का पर्याप्त स्टॉक पहले से ही मौजूद है जबकि नए धान की सरकारी खरीद भी आरंभ हो चुकी है।

यद्यपि चावल के उत्पादन में चीन सबसे आगे है मगर निर्यात के मोर्चे पर भारत सुस्से बहुत आगे निकल चुका हैं। जहां तक बासमती चावल का सवाल है तो भारत वैश्विक बाजार की 80 प्रतिशत जरूरत को पूरा करता है जबकि शेष 20 प्रतिशत का निर्यात पाकिस्तान से किया जाता है।

हाल के वर्षों में भारत से चावल का निर्यात में जबरदस्त इजाफा हुआ है और यह अन्य निर्यातक देशों को इतना पीछे छोड़ चुका है कि उसका भारत तक पहुंचना लगभग असंभव हो गया है।

यदि भारत से निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाए तभी अन्य देश इससे आगे निकल सकते हैं। भारत के सफेद चावल के जिन परम्परागत बाजारों पर अन्य देशों ने पिछले एक साल से कब्जा कर रखा है उसे अब वहां से बेदखल होना पड़ेगा क्योंकि सस्ते भारतीय चावल के समक्ष उसका टिकना मुश्किल है।

बेशक भारतीय निर्यातकों को कुछ चुनौतियों एवं बाधाओं का सामना करना पड़ेगा लेकिन वे वैश्विक समस्याएं हैं जिसका असर सभी देशों पर पड़ने की संभावना है। बासमती चावल का निर्यात 2023-24 में बढ़कर 52.40 लाख टन से शीर्ष स्तर पर पहुंच गया।

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