iGrain India - हैदराबाद । हालांकि भारत संसार में मक्का के बड़े उत्पादक देशों की सूची में शामिल है और यहां इसकी भारी खपत भी होती है लेकिन अब घरेलू प्रभाग में इसके कारोबार में असंतुलन की स्थिति पैदा होने की संभावना है जो एथनॉल निर्माण के लिए बढ़ती मांग के कारण बनेगी।
भारत में पहले मक्का का उत्पादन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होता था और निर्यात के लिए भी 15-20 लाख टन तक का स्टॉक बच जाता था लेकिन यह अतिरिक्त स्टॉक अब एथनॉल उत्पादन में इस्तेमाल हो सकता है।
यदि एथनॉल निर्माण में मक्का की खपत तेजी से बढ़ती है तो अन्य उपभोक्ता बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है और विदेशों से आयात भी सीमित मात्रा में हो रहा है।
भारत में कभी-कभार ही मक्का के आयात की आवश्यकता पड़ती थी और वैसे भी यहां जीएम मक्का के आयात पर प्रतिबंध लगा हुआ है और गैर जीएम मक्का पर भारी-भरकम आयात शुल्क लागू है।
सरकार ने वर्ष 2025 तक पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है और सिर्फ गन्ना से निर्मित एथनॉल इस लक्ष्य को हासिल नहीं करवा सकता है इसलिए अनाज और खासकर मक्का से इसका उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार भारत के जून 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया था और वर्ष 2023 से यह 20 प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
सरकार चीनी के उत्पादन को भी उचित स्तर पर रखना चाहती है इसलिए उसे मक्का से एथनॉल निर्माण को प्रोत्साहन देना पड़ रहा है। लेकिन इसके उत्पादन की वर्तमान स्थिति उत्साहवर्धक नहीं है इसलिए आयात का सहारा लेना पड़ सकता है।