iGrain India - मुम्बई । केन्द्र सरकार ने 2025-26 के सीजन के लिए पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए घरेलू प्रभाग में एथनॉल के उत्पादन में भारी बढ़ोत्तरी करने की आवश्यकता पड़ेगी।
चूंकि एथनॉल निर्माण के लिए गन्ना के उपयोग को ज्यादा बढ़ाने पर चीनी का उत्पादन प्रभावित हो सकता है और सरकार ऐसा नहीं होने देना चाहेगी इसलिए अनाज आधारित डिस्टीलरीज पर ही एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने का ज्यादा दायित्व रहेगा। इसे देखते हुए एथनॉल निर्माण में खासकर मक्का का उपयोग तेजी से बढ़ सकता है।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान एथनॉल के उत्पादन में करीब 60 लाख टन मक्का का उपयोग होने की संभावना है जबकि 2025-26 के सीजन में यह दोगुने से ज्यादा बढ़कर 125 लाख टन तक पहुंच सकता है।
इसके लिए या तो मक्का के घरेलू उत्पादन में कम से कम 60 लाख टन का इजाफा करने की आवश्यकता पड़ेगी या फिर अन्य उपभोक्ता उद्योगों को अपनी जरूरतों में कटौती करनी पड़ेगी। इसका तीसरा विकल्प यह है कि विदेशों से मक्का के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी जाए।
मक्का का उपयोग प्रत्यक्ष मानवीय खाद्य उद्देश्य, पशु आहार, पॉल्ट्री फीड तथा स्टार्च निर्माण उद्योग में परम्परागत रूप से होता रहा है जबकि एथनॉल निर्माण उद्योग भी अब इसमें शामिल हो गया है।
इसके फलस्वरूप मक्का का अधिक से अधिक स्टॉक प्राप्त करने के लिए इन सभी उद्योगों के बीच होड़ लगी रहेगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ने पर कीमतों में भारी इजाफा हो सकता है।
इसके फलस्वरूप मक्का गरीब लोगों के साथ-साथ निर्यातकों के हाथ से भी बाहर निकल जाएगा। यह ध्यान रखना भी आवश्यक है कि यदि उपभोक्ता उद्योगों को ऊंचे दाम पर कच्चा माल खरीदना पड़ा तो उसके तैयार उत्पादन का दाम स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगा।
अमरीकी कृषि विभाग ने भारत में 2023-24 एवं 2024-25 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन के दौरान मक्का का उत्पादन 375 लाख टन के आसपास स्थिर रहने का अनुमान लगाया है और इस तरह भारत दुनिया में इस महत्वपूर्ण मोटे अनाज का छठा सबसे बड़ा उत्पादक देश बना रहेगा।