iGrain India - राजकोट । पिछले दो महीनों से मध्य पूर्व एशिया में तनाव की स्थिति बरकरार रहने के बावजूद भारत और खासकर गुजरात से जीरा के निर्यात शिपमेंट में अच्छी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। हालांकि तुर्की एवं सीरिया में भी नए जीरे की आवक हो रही है मगर उसके कारोबार की गति धीमी पड़ गई है।
एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टैक होल्डर्स (फिस्स) द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर 2024 की तिमाही के दौरान भारत से जीरा का निर्यात उछलकर 52,022 टन पर पहुंच गया जो वर्ष 2023 के इन्हीं महीनों के कुल शिपमेंट 22,830 से 128 प्रतिशत अधिक है।
पिछले साल के मुकाबले के चालू वर्ष के दौरान जीरा का निर्यात जुलाई में 7994 टन से 153 प्रतिशत उछलकर 20,217 टन, अगस्त में 7640 टन से 88 प्रतिशत बढ़कर 14,372 टन तथा सितम्बर में 7196 टन से 142 प्रतिशत बढ़कर 17,433 टन पर पहुंच गया।
इतना ही नहीं बल्कि चालू मार्केटिंग सीजन के शुरूआती सात महीनों में यानी मार्च से सितम्बर 2024 के दौरान भारत से जीरा का कुल निर्यात बढ़कर 1,66,132 टन की ऊंचाई पर पहुंचा जो पिछले साल की समान अवधि के शिपमेंट 95,951 टन से 73 प्रतिशत अधिक रहा। इसके फलसरूप जीरे के निर्यात से प्राप्त होने वाली आमदनी भी काफी बढ़ गई।
उल्लेखनीय है कि मध्य पूर्व एशिया में सीरिया, तुर्की तथा ईरान जीरा के प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है लेकिन राजनैतिक तमाम के कारण वहां उत्पादन में गिरावट आ रही है जिससे भारतीय जीरे पर प्रमुख आयातक देशों की निर्भरता बढ़ती जा रही है।
पिछले साल भारत में जीरा का उत्पादन काफी घट गया था और इसकी कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हो गई थी जिससे निर्यात प्रभावित हुआ था। लेकिन चालू वर्ष के दौरान उत्पादन बढ़ने एवं भाव सामान्य स्तर पर होने से आयातक इसकी खरीद में भारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
फिस्स के अनुसार भारत में जीरा का उत्पादन मुख्यत: गुजरात और राजस्थान में होता है। मध्य-पूर्व एशिया में तनाव के कारण जब जीरा की पैदावार एवं आपूर्ति का प्रदर्शन कमजोर पड़ गया तब इन दोनों राज्यों में अंतर को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आगामी महीनों में भी भारतीय जीरे का निरयत प्रदर्शन शानदार रहने की उम्मीद है क्योंकि यहां इसका अच्छा खासा स्टॉक मौजूद है।