iGrain India - नई दिल्ली । रबी कालीन फसलों की बिजाई का सीजन आरंभ हो चुका है और कृषि मंत्रालय के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश भी प्राप्त हो चुकी है जिसके आधार पर इन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का निर्धारण होना है।
समझा जाता है कि जल्दी ही आर्थिक मामलों की केन्द्रीय कैबिनेट समिति की बैठक में एमएसपी को हरी झंडी मिल सकती है। रबी सीजन में मुख्यत: गेहूं, जौ, चना, मसूर एवं सरसों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण होता है।
किसानों को इन फसलों के एमएसपी में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है क्योंकि इसका बाजार भाव ऊंचा चल रहा है और इसके लागत खर्च में भी वृद्धि हो रही है।
एक किसान संगठन का कहना है कि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल के वर्तमान स्तर से बढ़ाकर 3000 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया जाना चाहिए।
इसी तरह चना, सरसों एवं मसूर के समर्थन मूल्य में भी लागत खर्च के अनुरूप इजाफा होना चाहिए। लागत खर्च का आंकलन सही ढंग से होना चाहिए और उस पर किसानों को 50 प्रतिशत लाभ सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
सरसों का समर्थन मूल्य 5650 रुपए तथा मसूर का समर्थन मूल्य 6425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है जिसमें 10 प्रतिशत तक की वृद्धि होनी चाहिए।
चना का समर्थन मूल्य 2022-23 के 5335 रुपए से 2 प्रतिशत बढ़ाकर 2023-24 सीजन में 5440 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित हुआ था जबकि इसका थोक मंडी भाव 7500 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है।
उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन मिलना आवश्यक है और समर्थन मूल्य में वृद्धि के जरिए यह प्रोत्साहन दिया जा सकता है। कम उत्पादन एवं ऊंचे बाजार भाव के कारण सरकार को इस बार चना तथा पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने के लिए विवश होना पड़ा।