iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि भारत और कनाडा के बीच तल्खी और दूरियां लगातार बढ़ती जा रही है तथा आरोप-प्रत्यारोप का दौरा भी जारी है लेकिन जानकारों का कहना है कि राजनयिक स्तर पर बढ़ते विवाद एवं तनाव का व्यापार तथा निवेश पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि इससे दोनों पक्षों को भारी नुकसान हो सकता है।
लेकिन ऐसा लगता है कि दोनों देशों के बीच जो एक व्यापार समझौता होने वाला था और जिसके लिए बातचीत चल रही थी उसमें आगे तब तक प्रगति होना मुश्किल है जब तक जस्टिन ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री बने रहेंगे।
कनाडा की सरकार भारत पर आरोप लगा रही है उसके नागरिक की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ है। इसके लिए उसे फाइव आई (पांच आंख) नामक इंटेलिजेंस संस्था का आंकड़ा मिला है।
इसमें अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड की सस्था शामिल है। लेकिन भारत ने इसके आरोप को निराधार बताया है।
दोनों देशों के हाई कमिश्नर (उच्चयुक्त या राजदूत) तथा अन्य वरिष्ठ राजनयिक अपने-अपने देश वापस लौट रहे हैं जिससे आपसी गतिरोध बढ़ने की आशंका है लेकिन इसके साथ यह भी ध्यान में रखा जा रहा है कि द्विपक्षीय कारोबार पर इस गतिरोध का असर न पड़े।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह मामला अभी तक चिंताजनक स्तर पर नहीं पहुंचा है। वैसे भी द्विपक्षीय व्यापार इतना विशाल नहीं है कि वह भारत के सकल व्यापार को ज्यादा प्रभावित कर सके। कनाडा को अपने किसानों के हितों की चिंता भी है।
कनाडा से मसूर और मटर का सर्वाधिक निर्यात भारत को हो रहा है और यदि इसका शिपमेंट थम गया तो उसके उत्पादकों एवं निर्यातकों को भारी कठिनाई हो सकती है।
भारत को भी थोड़ी-बहुत परेशानी होगी मगर इसके लिए ऑस्ट्रेलिया एवं रूस जैसे विकल्प मौजूद है। कनाडा के पेंशन फंड भारत में निवेश जारी रखेंगे भले ही उसे सिंगापुर या संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के माध्यम से इसे बरकरार रखना पड़े।
भारत के कुल विदेशी व्यापार में कनाडा की भागीदारी 1 प्रतिशत से भी कम है। कनाडा भारत का 33 वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है।
चालू वित्त वर्ष के शुरूआती सात महीनों में यानी अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान दोनों देशों के बीच 2.68 लाख डॉलर का कारोबार हुआ लेकिन यदि गतिरोध ज्यादा बढ़ा तो आगामी महीनों में कनाडा से भारत में पीली मटर एवं मसूर का आयात पर आंशिक रूप से असर पड़ सकता है।