iGrain India - नई दिल्ली । चालू माह (अक्टूबर) के दौरान केन्द्रीय पूल में चावल का स्टॉक बढ़कर 311 लाख टन पर पहुंच गया जो इस माह के लिए पिछले दो दशकों का सबसे ऊंचा स्तर है।
पिछले खरीफ एवं रबी सीजन में खरीदे गए धान की कस्टम मिलिंग के बाद मिलर्स नियमित रूप से खाद्य निगम को चावल की आपूर्ति कर रहे हैं और अब सरकार के नए धान की खरीद भी शुरू कर दी है।
2024-25 के वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान खाद्य निगम ने 485 लाख टन चावल के समतुल्य धान की खरीद का लक्ष्य रखा है। 1 अक्टूबर से मार्केटिंग सीजन आरंभ हो चुका है।
खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत चावल का अत्यन्त सीमित उठाव हो रहा है और सरकारी चावल का निर्यात भी बहुत कम हो रहा है।
सरकार ने एथनॉल निर्माताओं के लिए 23 लाख टन चावल का कोटा आवंटित किया है अगर इसका न्यूनतम आरक्षित मूल्य ऊंचा होने से डिस्टीलर्स इसकी खरीद में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है।
इसके अलावा सरकार ने पहले जिन दस राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गेहूं का वितरण रोककर चावल बढ़ा दी थी वहां अब पुनः गेहूं की आपूर्ति शुरू हो गई है जिससे चावल का वितरण सीमित हो गया है।
2023-24 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान भारतीय खाद्य निगम द्वारा 463 लाख टन चावल के समतुल्य धान खरीदा गया था। इस बार धान के क्षेत्रफल में इजाफा हुआ है और मानसून की बारिश भी अच्छी हुई है इसलिए उत्पादन में बढ़ोत्तरी के आसार हैं। इसके आधार पर खरीद का लक्ष्य बढ़ाया गया है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के बीच वितरण के लिए 380 लाख टन चावल की वार्षिक जरूरत पड़ती है। पिछले साल अक्टूबर के आरंभ में केन्द्रीय पूल में 222 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद था।