iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू प्रभाग में विभिन्न उद्देश्यों में तेजी से बढ़ती खपत के कारण उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत में चालू वित्त वर्ष के दौरान विदेशों से मक्का का भारी आयात हो रहा है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 की सम्पूर्ण अवधि के दौरान देश में केवल लगभग 17 हजार टन मक्का का आयात हुआ था जो 2023-24 के वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) में बढ़कर 1.37 लाख टन के करीब पहुंच गया।
इसके मुकाबले चालू वित्त वर्ष के शुरूआती चार महीनों में ही यानी अप्रैल-जुलाई 2024 के दौरान मक्का का आयात उछलकर 5.63 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया। इससे इसकी घरेलू मांग एवं खपत में भारी वृद्धि का स्पष्ट संकेत मिलता है।
चालू वित्त वर्ष के आरंभिक चार महीनों में म्यांमार से सर्वाधिक 3.34 लाख टन तथा यूक्रेन से 2.25 लाख टन मक्का का आयात किया गया। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, अमरीका, भूटान एवं कुछ अन्य देशों से भी थोड़ी-बहुत मात्रा में इसका आयात हुआ।
उल्लेखनीय है कि भारत में केवल गैर जीएम या परम्परागत किस्मों के मक्के के आयात की अनुमति दी गई है और जीएम मक्का के आयात पर प्रतिबंध लगा हुआ है इसलिए अमरीका, ब्राजील एवं अर्जेन्टीना जैसे अग्रणी निर्यातक देशों से ज्यादा मात्रा में इसका आयात नहीं किया जाता है क्योंकि वहां मुख्यत: जीएम मक्का का उत्पादन होता है।
इसके अलावा भारत में मक्का के आयात पर 50 प्रतिशत का भारी-भरकम सीमा शुल्क भी लगा हुआ है मगर कम या अन्य विकसित देशों से मक्का के आयात पर शुल्क से छूट दी जाती है।
स्वदेशी उद्योग की मांग पर भारत सरकार द्वारा टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के तहत रियायती शुल्क पर मक्का के आयात की स्वीकृति दी जाती है। आमतौर पर इसकी मात्रा 5 लाख टन तक नियत होती है और इस पर 15 प्रतिशत की दर से सीमा शुल्क लगाया जाता है।
एथनॉल निर्माण में भारी मांग की संभावना को देखते हुए भारत को विशाल मात्रा में मक्का के आयात की आवश्यकता आने वाले वर्षों में पड़ सकती है क्योंकि इसके घरेलू उत्पादन में अपेक्षित बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। सरकार मक्का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है।