iGrain India - सस्काटून । भारत कनाडाई मटर का अग्रणी खरीदार देश है। लेकिन दोनों देशों के बीच राजनैतिक स्तर पर गहरा विवाद एवं तनाव उत्पन्न हो गया है जिससे कनाडा के उत्पादक एवं निर्यातक असमंजस में फंसे हुए हैं।
भारतीय आयातक भी दुविधाग्रस्त हैं। हालांकि इससे पूर्व भी एक बार ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी मगर व्यापरिक गतिविधियां प्रभावित नहीं हुई थीं। उस समय भारत में पीली मटर का आयात नहीं हो रहा था और केवल मसूर का आयात जारी था।
मगर अब दोनों दलहनों का आयात हो रहा है। वैसे अभी तक विवाद केवल राजनैतिक स्तर तक ही सीमित है लेकिन आगे यदि इसका दायरा बढ़कर व्यापारिक स्तर तक पहुंच जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।
भारत में दलहनों का दाम गिरना शुरू हो चुका है जिससे आयात की गति धीमी पड़ने की संभावना व्यक्त की जाने लगी है। फिलहाल भारत में 31 दिसम्बर 2024 तक पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गई है और यदि कनाडा के साथ विवाद जारी रहा तो 1 जनवरी 2025 से मटर पर पुनः आयात शुल्क लगाया जा सकता है।
उधर चीन में भी मटर का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है जिससे इसके आयात की गति धीमी देखी जा रही है। चीन के मटर बाजार पर रूस का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है जिससे कनाडा को भारी कठिनाई हो सकती है।
रूस में उत्पादन कुछ घटा है मगर फिर भी वहां इसका विशाल स्टॉक मौजूद है। कनाडा के लिए पीली मटर के वैश्विक निर्यात बाजार में ज्यादा गंभीर चुनौती बनी रहेगी।
हरी मटर तथा मापले मटर का बाजार इन तनावों एवं विवादों के प्रभाव से अछूता रह सकता है। इसका कारोबार सामान्य ढंग से हो रहा है।
स्टैंडर्ड बाजारों में पीली मटर का भाव फिलहाल 10.00-10.50 डॉलर प्रति बुशेल के बीच बताया जा रहा है जबकि कीटनाशी रसायन से युक्त माल का दाम कुछ सुधरने की उम्मीद है। हरी मटर का मूल्य 15-16 डॉलर प्रति बुशेल तथा मापले मटर का भाव 18-20 डॉलर प्रति बुशेल के बीच स्थिर बना हुआ है।