iGrain India - नई दिल्ली । आगामी रबी मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए अपनी सिफारिश (रिपोर्ट) में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने खाद्य तेलों तथा दलहनों के आयात पर निर्भरता घटाने की जरूरत पर जोर देते हुए इसका घरेलू उत्पादन बढ़ाने तथा खरीद की प्रक्रिया को मजबूत बनाने का सुझाव दिया है।
आयोग ने सस्ते आयात से स्वदेशी तिलहन उत्पादकों को सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्य तेलों पर एक गतिशील शुल्क संरचना लागू करने की भी सलाह दी है।
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि जनसंख्या में वृद्धि, लोगों की आमदनी में बढ़ोत्तरी एवं खाद्य शैली में आ रहे बदलाव के कारण खाद्य तेलों की मांग एवं खपत में अनवरत बढ़ोत्तरी होती जा रही है और इसके अनुरूप उत्पादन नहीं बढ़ने से आयात में इजाफा हो रहा है।
वनस्पति तेलों के वैश्विक बाजार में भारी उतार-चढ़ाव का माहौल रहता है जो भारतीय उत्पादकों एवं प्रोसेसर्स को प्रभावित करता है इसलिए आयात पर निर्भरता घटाने की सख्त जरूरत है।
रिपोर्ट के अनुसार स्वदेशी किसानों को दलहनों एवं तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए समुचित प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए और सस्ते आयात के असर से बचाया जाना चाहिए।
इसके लिए तिलहनों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), खाद्य तेलों के घरेलू एवं वैश्विक बाजार भाव तथा मांग एवं आपूर्ति के समीकरण के आधार पर आयात शुल्क की संरचना का निर्माण होना चाहिए।
यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि आयातित खाद्य तेलों का खर्च घरेलू बाजार में प्रचलित मूल्य से नीचे न रहे। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में कृषि उत्पादों के कुल आयात में खाद्य तेलों की भागीदारी 42.3 प्रतिशत तथा सकल आयात में इसकी हिस्सेदारी 2.2 प्रतिशत रही।
इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि खाद्य तेलों का आयात हद से ज्यादा बढ़ रहा है और इसे नियंत्रित करने की सख्त आवश्यकता है। देश में खाद्य तेलों की 55 प्रतिशत से अधिक मांग को विदेशों से आयात के जरिए पूरा किया जाता है।
खाद्य तेलों का आयात 2021-22 के 84 लाख टन से उछलकर 2023-24 में 155 लाख टन पर पहुंच गया। खाद्य तेलों की भांति दलहनों के आयात में भी जोरदार वृद्धि हो रही है।
सरकार ने वर्ष 2027 तक देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है इसलिए आयात पर नियंत्रण आवश्यक हो गया है।