iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में यानी अप्रैल-सितम्बर 2024 के दौरान दलहनों के आयात पर होने वाला खर्च उछलकर 2.187 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गया जो अप्रैल-सितम्बर 2023 के आयात खर्च 1.265 अरब डॉलर से करीब 73 प्रतिशत अधिक रहा।
सितम्बर 2024 में 42.578 करोड़ डॉलर मूल्य के दलहनों का आयात हुआ जो सितम्बर 2023 के आयात मूल्य 31.589 अरब डॉलर से 34.8 प्रतिशत अधिक रहा। समझा जाता है कि पहली छमाही के दौरान तुवर, उड़द एवं चना के आयात में बढ़ोत्तरी हुई।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार विभिन्न देशों से इस अवधि के दौरान दलहनों की भारी मात्रा का आयात किया गया और इसका ऑफर मूल्य भी ऊंचा रहा जिससे खर्च में भारी इजाफा हो गया।
वैसे हाल के महीनों में मसूर के साथ-साथ पीली मटर के आयात की गति भी कुछ धीमी रही क्योंकि घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर देखी जा रही है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 की सम्पूर्ण अवधि (अप्रैल-मार्च) के दौरान दलहनों का आयात खर्च 2022-23 की तुलना में लगभग दोगुना बढ़कर 3.74 अरब डॉलर पर पहुंच गया था जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में ही कुल आयात खर्च 2.187 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है।
सरकार ने दिसम्बर 2023 में पीली मटर तथा मई 2024 में देसी चना के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया था जबकि तुवर, उड़द एवं मसूर का शुल्क मुक्त आयात पहले से ही हो रहा था। घरेलू उत्पादन में गिरावट आने से यह निर्णय लेना पड़ा।
आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान के अनुसार उत्पादन लगातार कमजोर होने से घरेलू प्रभाग में अरहर (तुवर) का अभाव पैदा हो गया जबकि दूसरी ओर मांग नियमित रूप से बढ़ती रही।
मांग एवं आपूर्ति के बीच अंतर को पूरा करने के लिए विदेशों से दलहनों का आयात बढ़ाना आवश्यक हो गया। अप्रैल-सितम्बर 2024 की छमाही के दौरान तुवर का आयात उछलकर 6.09 लाख टन के करीब पहुंच जाने का अनुमान है जी पिछले साल की इसी अवधि के आयात 2.74 लाख टन की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है।
भारत में तुवर का आयात मुख्यत: म्यांमार एवं पूर्वी अफ्रीकी देशों- मोजाम्बिक, मलावी, तंजानिया एवं सूडान आदि आदि से किया जाता है।
म्यांमार से उड़द का भी भारी आयात नियमित स्वयं हो रहा है जबकि मसूर का आयात कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया से किया जा रहा है। उड़द का आयात 2.40 लाख टन से बढ़कर 4.08 लाख टन पर पहुंच जाने का अनुमान है।