iGrain India - लुधियाना । केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य- पंजाब में राइस मिलर्स / शेलर्स द्वारा सरकारी स्तर पर खरीदे गए धान की मिलिंग करने से इंकार किए जाने के कारण राज्य की विभिन्न मंडियों में धान का अम्बार लग गया है। मंडियों में विशाल मात्रा में धान पहुंच रहा है मगर इसके उठाव की गति बहुत धीमी है।
मंडियों में धान का अम्बार लगने से किसानों को अपनी नई खेप लाने में काफी कठिनाई हो रही है क्योंकि इसे रखने के लिए जगह का अभाव हो गया है।
हालांकि राइस मिलर्स / शेलेर्स ने तात्कालिक समाधान के लिए इस सरकारी धान को अपने परिसर में रखवाने का ऑफर दिया है लेकिन इसकी मिलिंग नहीं करने पर वे कायम हैं। शेलर्स का कहना है कि जब तक उनकी मांगें स्वीकार नहीं की जाती तब तक वे धान की मिलिंग नहीं करेंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन में 17 अक्टूबर तक पंजाब में धान की जितनी सरकारी खरीद हुई है उसमें से केवल 12 प्रतिशत का उठाव संभव हो सका जबकि शेष लगभग 88 प्रतिशत धान का स्टॉक अभी मंडियों (क्रय केन्द्रों) में ही पड़ा हुआ है।
सरकार ने इस बार कुल 185 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया है जबकि 16 अक्टूबर तक मंडियों में करीब 13.62 लाख टन धान की आवक दर्ज की गई। धान की सरकारी खरीद 30 नवम्बर 2024 तक जारी रहेगी।
पंजाब राइस शेलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि मिलर्स अपने परिसरों में सरकारी धान का भंडारण करने के लिए तैयार हैं लेकिन जब तक मामला पूरी तरह सुलझ नहीं जाता तब तक इस धान की मिलिंग आरंभ नहीं की जाएगी।
सरकार चावल मिलों के परिसरों में धान का स्टॉक रखकर मिलर्स से उसका हिसाब-किताब ले सकती है। वर्ष 1999 से पहले भी ऐसा होता रहा है और एक बार फिर 2005 में इस तरह की घटना हो चुकी है।