iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने यद्यपि 2024-25 के मार्केटिंग सीजन हेतु चावल की खरीद के लक्ष्य में काफी कटौती कर दी है मगर अभी तक वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन में खरीद का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं देखा जा रहा है।
समझा जाता है कि कमीशन एजंटों (आढ़तियों) के विरोध तथा पंजाब में भंडारण सुविधा के अभाव के कारण धान की सरकारी खरीद की गति धीमी चल रही है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार चालू वर्ष में 1 से 15 अक्टूबर तक किसानों से केवल 20.70 लाख टन धान खरीदा जा सका जो पिछले साल की समान अवधि की खरीद 39.40 लाख टन से 48 प्रतिशत कम रहा।
पिछले साल धान की कटाई सामान्य समय से पहले आरंभ हो गई थी जिससे इसकी खरीद भी तेज रही और प्रथम पखवाड़े के दौरान खरीद की मात्रा करीब 6 प्रतिशत बढ़ गई।
केन्द्र सरकार ने 2024-25 के वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान 485.11 लाख टन चावल (इसके समतुल्य धान) की खरीद का लक्ष्य नियत किया है जो 2023-24 सीजन के लिए निर्धारित लक्ष्य 521.27 लाख टन से कम है।
2023-24 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन (खरीफ + रबी) के दौरान केन्द्रीय पूल के लिए 525.37 लाख टन चावल खरीदा गया जो 2022-23 सीजन की कुल खरीद 569.40 लाख टन से 44 लाख टन कम रहा।
इस वर्ष धान की सरकारी खरीद तमिलनाडु में 1 सितम्बर से तथा हरियाणा में 27 सितम्बर से आरंभ हुई जबकि पंजाब तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 1 अक्टूबर से खरीद की प्रक्रिया आरंभ हुई।
हालांकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी नया मार्केटिंग सीजन औपचारिक तौर पर आरंभ हो गया है लेकिन वहां मंडियों में धान की आवक नहीं या नगण्य हो रही है। दरअसल इस संभाग में आमतौर पर नवम्बर में धान की कटाई शुरू होती है।
पंजाब में 15 अक्टूबर तक केवल 5.44 लाख टन चावल खरीदा गया जो गत वर्ष की समान अवधि की खरीद 15 लाख टन से बहुत कम है।
इसी तरह हरियाणा में खरीद 22.20 लाख टन से 42 प्रतिशत घटकर 12.90 लाख टन पर सिमट गई। उधर तमिलनाडु में चावल की खरीद गत वर्ष के 1.92 लाख टन से 17 प्रतिशत बढ़कर इस बार 2.25 लाख टन पर पहुंच गई।