iGrain India - विजयवाड़ा । देश के दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्र में उत्तर-पूर्व मानसून की सक्रियता से मूसलाधार वर्षा का दोर जारी रहने से खेतों में खड़ी विभिन्न खरीफ फसलों को नुकसान हो रहा है और पकी हुई फसलों की कटाई में देरी हो रही है।
बंगाल की खड़ी के ऊपर कम दाब का निर्मित क्षेत्र डिप्रेशन में बदल गया है जिससे चालू सप्ताह के अंत तक तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केवल पांडिचेरी तथा कर्नाटक में भारी बारिश का सिलसिला जारी रहने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक इस वर्षा का दायरा महाराष्ट्र, तेलंगाना एवं गोवा जैसे राज्यों के कुछ भागों तक फैल सकता है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून के प्रस्थान करने के बाद उत्तरी भारत में वर्षा होने की संभावना काफी घट गया है जबकि दिन का तापमान अब भी ऊंचा चल रहा है।
इससे उन क्षेत्रों में रबी फसलों की बिजाई पर असर पड़ सकता है जहां मानसून सीजन के दौरान वर्षा का अभाव रहा था और बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर घटकर काफी नीचे आ गया है।
दक्षिणी प्रांतों में मूंगफली, सोयाबीन, मूंग, कपास, मोटे अनाज तथा कहीं-कहीं धान की फसल को भी भारी वर्षा एवं जल जमाव से नुकसान होने की आशंका है।
तुवर के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य- कर्नाटक में फसल की हालत अभी तक लगभग सामान्य है मगर बारिश का दौर जारी रहने पर उसे क्षति हो सकती है। आंध्र प्रदेश में हल्दी एवं लालमिर्च की फसल के लिए भारी वर्षा को नुकसान दायक माना जा रहा है।
वहां खेतों में पानी भर गया है इसलिए किसानों को खरीफ फसलों की कटाई-तैयारी तथा रबी फसलों की बिजाई शुरू करने के लिए पानी का प्रभाव समाप्त होने तक इंतजार करना पड़ेगा।
कर्नाटक में चना की बिजाई अटक सकती है। तेलंगाना में कपास की फसल पर बारिश का दुष्प्रभाव पड़ने की आशंका है। तमिलनाडु के कई इलाकों में जोरदार वर्षा हुई है और केरल में भी बारिश होने की सूचना है। उत्तर-पूर्व मानसून दिसम्बर के अंत तक सक्रिय रहता है।