iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून के सीजन में भरपूर बारिश होने से खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश मौजूद है और सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी 130 से 300 रुपए प्रति क्विंटल तक का भारी इजाफा कर दिया है जिससे रबी फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए किसानों को अच्छा प्रोत्साहन मिलेगा।
ध्यान देने वाली बात है कि रबी सीजन की तीनों प्रमुख फसलों- गेहूं, चना एवं सरसों का खुला बाजार भाव न्यूतनम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी ऊंचा चल रहा है जिससे किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है।
केन्द्र सरकार ने पिछले साल की तुलना में इस वर्ष गेहूं का एमएसपी 2275 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए बढ़ाकर 2425 रुपए प्रति क्विंटल, जौ का 1850 रुपए से 130 रुपए बढ़ाकर 1980 रुपए प्रति क्विंटल, चना का 5440 रुपए से 210 रुपए बढ़ाकर 5650 रुपए प्रति क्विंटल,
मसूर का 6425 रुपए से 275 रुपए बढ़ाकर 6700 रुपए प्रति क्विंटल, सरसों का 5650 रुपए से 300 रुपए बढ़ाकर 5950 रुपए प्रति क्विंटल तथा सैफ्लावर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5800 रुपए से 140 रुपए बढ़ाकर 5940 रुपए प्रति निर्धारित किया है। इससे किसानों को अच्छी राहत मिलने की उम्मीद है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विशाल मात्रा में गेहूं की खरीद का प्रयास किया जाता है जिससे खासकर पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान जैसे राज्यों के किसानों को काफी फायदा होता है और बिहार, गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश के किसान भी लाभान्वित होते हैं।
अब सरकार ने दलहनों-तिलहनों की भारी खरीद भी आरंभ कर दी है ताकि इसका सरकारी स्टॉक बढ़ाया जा सके, किसानों को समर्थन मूल्य का लाभ मिल सके और जरूरत पड़ने पर बाजार भाव में तेजी को नियंत्रित किया जा सके।
पिछले सीजन के कमजोर उत्पादन की बजट से सरकारी एजेंसियों और खसकर नैफेड को अपेक्षित मात्रा में दलहनों की खरीद का अवसर नहीं मिल सका जिससे चना का भाव तेजी से बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
दो-तीन साल पूर्व चना का जो दाम 4800/5000 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहा था वह वर्ष 2024 में उछलकर 7500 रुपए प्रति क्विंटल से भी ऊपर पहुंच गया।
इसी तरह जून के बाद सरसों के दाम में भी अच्छी तेजी आई जबकि गेहूं का दाम तो पहले से ही किसानों के लिए आकर्षक बना हुआ है।