iGrain India - घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल रहने तथा मांग एवं खपत में नियमित रूप से बढ़ोत्तरी का सिलसिला जारी रहने से विभिन्न दाल-दलहनों की कीमतों में तेज उछाल को देखते हुए केन्द्र सरकार को विदेशों से इसके आघात को प्रोत्साहित करने के लिए विवश होना पड़ा।
इसके तहत पहले अरहर (तुवर), उड़द एवं मसूर के आयात को 31 मार्च 2025 तक शुल्क मुक्त किया गया और फिर दिसम्बर 2023 में पीली मटर तथा मई 2024 में देसी चना के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति प्रदान की गई। पीली मटर के आयात की समय सीमा 31 दिसम्बर 2024 नियत की गई है।
इस निर्णय का जो नतीजा निकलता था वही हुआ। भारत सरकार की उदार आयात नीति का फायदा दलहन के प्रमुख निर्यातक देशों को प्राप्त हो रहा है। देश में दलहनों और खासकर तुवर, उड़द एवं देसी चना के आयात में जोरदार बढ़ोत्तरी हो रही है लेकिन मसूर के आयात की गति कुछ धीमी है क्योंकि पिछले साल इसकी विशाल मात्रा का आयात हुआ था और सरकारी एजेंसियों ने स्वदेशी किसानों के साथ-साथ आयातकों से भी इसकी भारी खरीद करके बड़ा स्टॉक बना लिया था।
यह स्टॉक अब भी उसके पास मौजूद है। हाल के महीनों में मसूर के साथ-साथ पीली मटर का आयात भी कम हुआ है और इसका घरेलू बाजार भाव एक निश्चित सीमा में लगभग स्थिर बना हुआ है।
मसूर की कीमतों में भी ज्यादा तेजी नहीं देखी जा रही है जबकि तुवर एवं उड़द का भाव अपने शीर्ष स्तर की तुलना में गिरकर कुछ नीचे आया है।
खरीफ कालीन उड़द एवं मूंग की आपूर्ति आरंभ हो चुकी है जबकि तुवर के नए माल की आवक दिसम्बर से शुरू होगी। म्यांमार एवं अफ्रीकी देशों से इसका भारी आयात हो रही है।
पिछले साल की तुलना में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान तुवर का आयात 2.74 लाख टन से उछलकर 6.09 लाख टन तथा उड़द का आयात 2.40 लाख टन से बढ़कर 4.08 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है।
इसी तरह देसी चना का आयात भी 11 हजार टन से उछलकर 1.03 लाख टन पर पहुंच गया मगर मसूर का आयात 8.02 लाख टन से लुढ़ककर 3.85 लाख टन पर सिमट जाने की संभावना है।
आगामी समय में इसका निर्यात प्रदर्शन और भी कमजोर रहने की संभावना है क्योंकि कनाडा के साथ बिगड़ते सम्बन्ध को देखते हुए भारतीय आयातक ऑस्ट्रेलिया से मसूर के आयात को प्राथमिकता देने लगे हैं।
समीक्षाधीन छमाही के दौरान दलहनों के आयात पर ख़र्च होने वाली राशि भी 1.265 अरब डॉलर से 73 प्रतिशत उछलकर 2.187 अरब डॉलर पर पहुंच गई। दूसरी छमाही में आयात कुछ घटने की उम्मीद है।