iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के लिए पेट्रोल में 15 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसका हासिल होना संभव नहीं लगता है।
उद्योग समीक्षकों ने परिस्थितियों को देखते हुए इस लक्ष्य को काफी महत्वाकांक्षी करार दिया था क्योंकि एक तो सरकार ने चीनी मिलों एवं डिस्टीलरिज के लिए एथनॉल निर्माण हेतु गन्ना के सीमित उपयोग की अनुमति दी थी और दूसरे, अनाज आधारित इकाइयों को अपने स्टॉक से चावल की आपूर्ति भी बंद कर दी थी।
गनीमत रही कि एथनॉल निर्माताओं ने मक्का का उपयोग करके एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया अन्यथा स्थिति और भी खराब हो सकती थी। नवम्बर 2023 से दिसम्बर 2024 तक पेट्रोल में 13.8 प्रतिशत एथनॉल का मिश्रण संभव हो गया। सिर्फ अक्टूबर का माह बचा हुआ है।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 2023-24 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन में 15 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त होना तो बहुत मुश्किल है लेकिन कुल मिलाकर लक्ष्य के काफी करीब पहुंचना संभव हो सकता है। सरकार जैव ईंधन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एक अग्रणी रेटिंग एजेंसी के अनुसार एथनॉल मिश्रण 14 प्रतिशत तक पहुंच सकता है क्योंकि अनाज और खासकर मक्का तथा चावल के एक्सट्रैक्शन की गति काफी तेज हो रही है।
अनाज आधारित इकाइयों की एथनॉल निर्माण क्षमता काफी बढ़ गई है और इसके अधिक से अधिक भाग का उपयोग करने का प्रयास किया जा रहा है।
गन्ना से एथनॉल निर्माण में आने वाली गिरावट की भरपाई अनाज से काफी हद तक हो सकती है। मोटे तौर पर 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में पेट्रोल में 14 प्रतिशत तक एथनॉल का मिश्रण होने का अनुमान लगाया जा रहा है जबकि 2024-25 के सीजन में मिश्रण का स्तर स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगा
क्योंकि एक तो इसके निर्माण में गन्ना के नियंत्रण मुक्त उपयोग की अनुमति प्रदान की गई है और दूसरे, मक्का का इस्तेमाल भी बढ़ना निश्चित है। इसके अलावा सरकार ने एथनॉल निर्माताओं के लिए अपने स्टॉक से 23 लाख टन चावल की मात्रा आवंटित करने का निर्णय लिया है।