iGrain India - नई दिल्ली । मोटे अनुमान के अनुसार पेट्रोल में 18-20 प्रतिशत का मिश्रण सुनिश्चित करने के लिए जितनी मात्रा में गन्ना से निर्मित एथनॉल की जरूरत पड़ेगी उसके उत्पादन के लिए 45 लाख टन से ज्यादा चीनी के डायवर्जन की आवश्यकता होगी।
एथनॉल उत्पादन के सम्बन्ध में चीनी मिलों तथा डिस्टीलरीज का निर्णय सरकार द्वारा घोषित खरीद मूल्य पर निर्भर करेगा। उल्लेखनीय है कि 2023-24 के सीजन में एथनॉल निर्माण के लिए लगभग 24 लाख टन चीनी के समतुल्य गन्ना का उपयोग किया गया।
उद्योग समीक्षकों के मुताबिक 2024-25 के मार्केटिंग सीजन के लिए एथनॉल की खरीद के मूल्य की घोषणा में देर हो रही है जिससे एथनॉल उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है और तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के लिए इसकी आपूर्ति में कमी आ सकती है और 18 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य हासिल करना भी कठिन हो सकता है।
हालांकि सरकार ने 2024-25 के मार्केटिंग सीजन में एथनॉल उत्पादन में 40-45 लाख टन चीनी के डायवर्जन का अनुमान लगाया है लेकिन यदि 18 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने का प्रयास किया गया तो चीनी की वास्तविक मात्रा की जरूरत इससे ज्यादा हो सकती है।
चीनी मिलों को इस बार गन्ना जूस एवं सीरप, बी हैवी शीरा तथा सी हैवी शीरा से एथनॉल के निर्माण की अनुमति दी गई है और इस पर कोई मात्रात्मक नियंत्रण भी नहीं लगाया गया है। लेकिन किस स्रोत से कितना एथनॉल निर्मित किया जाएगा- इसका निर्णय मिलर्स-डिस्टीलर्स को ही लेना है।
2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान भारत में कुल 320 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है।
यदि इसमें से 45 लाख टन का उपयोग एथनॉल निर्मण में हो गया तो खाद्य उद्देश्य के लिए करीब 275 लाख टन चीनी का स्टॉक बच सकता है जो 290-295 लाख टन की संभावित घरेलू खपत से कम है।
उद्योग के पास चीनी का अधिशेष स्टॉक मौजूद है इसलिए कम से कम 2024-25 के सीजन में घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने में कठिनाई नहीं होनी चाहिए।