iGrain India - नई दिल्ली (भारती एग्री एप्प)। घरेलू प्रभाग में खासकर एथनॉल निर्माण उद्योग में बढ़ती मांग को देखते हुए मक्का की आपूर्ति की स्थिति जटिल बनने की संभावना है।
इसे देखते हुए देश में म्यांमार से करीब 10 लाख टन मक्का का आयात होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस गैर जीएम मक्का का आयात भारत के दक्षिणी बंदरगाहों- तूतीकोरिन, चेन्नई एवं विशाखापटनम पर किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि दो सरकारी एजेंसियों- नैफेड तथा एनसीसीएफ ने फरवरी में एथनॉल निर्माताओं के साथ एक करार किया था जिसके तहत डिस्टीलर्स को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का की आपूर्ति करने का भरोसा दिया गया था ताकि एथनॉल के निर्माण में चीनी पर निर्भरता को घटाने में मदद मिल सके और अनाज आधारित डिस्टीलर्स को पर्याप्त मात्रा में कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
लेकिन सरकार का यह कदम प्रभावी तरीके से सफल नहीं हो सका क्योंकि घरेलू प्रभाव में मक्का का भाव बढ़ गया और पॉल्ट्री फीड, पशु आहार तथा स्टार्च निर्माताओं को समुचित मात्रा में इस महत्वपूर्ण मोटे अनाज का स्टॉक हासिल करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ा।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक हाल के महीनों में म्यांमार से भारी मात्रा में मक्का का आयात हुआ है हालांकि पिछले साल के मुकाबले इस बार खरीफ सीजन में मक्का के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई मगर मानसून की भारी वर्षा एवं कई इलाकों में आई भयंकर बाढ़ के कारण फसल को नुकसान भी हुआ। एथनॉल निर्मातों की बढ़ती मांग से मक्का का भाव काफी ऊंचा हो गया।
समझा जाता है कि म्यांमार से 275-287 डॉलर प्रति टन के बीच मूल्य स्तर पर भारत में मक्का का आयात हो सकता है जिसमें शिपमेंट चार्ज सहित अन्य खर्च भी शामिल हैं। इधर देश के प्रमुख बाजारों (मंडियों) में 22 अक्टूबर को मक्का का औसत मूल्य 24,600 रुपए (292.60 डॉलर) प्रति टन चल रहा था जो गत वर्ष से 12 प्रतिशत ऊंचा था।
ध्यान देने की बात है कि म्यांमार से आयातित मक्का शुल्क मुक्त होता है इसलिए भारतीय आयातक वहां से माल मंगाना ज्यादा पसंद करते हैं। भारत में आमतौर पर मक्का पर 60 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू है और केवल गैर जीएम श्रेणी के आयात की अनुमति दी गई है।