iGrain India - हैदरबाद । भारत सरकार द्वारा गैर बासमती संवर्ग के चावल के निर्यात को शुल्क मुक्त एवं नियंत्रण मुक्त किए जाने के बाद एशिया के प्रमुख निर्यातक देशों में चावल के निर्यात मूल्य में गिरावट आनी शुरू हो गई है क्योंकि आगामी महीनों के दौरान वैश्विक बाजार में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की आपूर्ति एवं उपलब्धता में भारी बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
भारत सरकार ने अंतिम बाधा को भी उस समय समाप्त कर दिया जब गैर बासमती सफेद चावल के लिए निर्धारित 490 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य को वापस ले लिया। इसके फलस्वरूप भारत और वियतनाम में चावल का निर्यात ऑफर मूल्य घटकर पिछले एक साल के निचले स्तर पर आ गया।
पहले भारत में गैर बासमती सेला चावल पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत नियत किया गया था और बाढ़ में इसे पूरी तरह शुल्क मुक्त कर दिया गया। इसके पश्चात सफेद चावल पर से न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को हटाया गया।
भारत के 5 प्रतिशत टूटे सेला संवर्ग के चावल का निर्यात ऑफर मूल्य फिलहाल 450 से 484 डॉलर प्रति टन के बीच चल रहा है जो अगस्त 2023 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
इसी तरह 5 प्रतिशत टूट के अंश वाले सफेद चावल का दाम 460 से 490 डॉलर प्रति टन के बीच बताया जा रहा है। भारतीय चावल की निर्यात मांग धीरे-धीरे मजबूत होने लगी है और इसकी प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए अन्य निर्यातक देशों को अपने चावल का दाम घटाने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
इंडोनेशिया की अनाज खरीद एजेंसी- बुलॉग ने चावल की खरीद के लिए जारी एक टेंडर को निरस्त करने का निर्णय लिया है जिससे वियतनामी बाजार पर दबाव बढ़ गया।
उधर थाईलैंड के 5 प्रतिशत टूटे चावल का निर्यात ऑफर मूल्य 525 डॉलर से घटकर अब 510 डॉलर प्रति टन पर आ गया है। इसकी मांग भी स्थिर हो गई है और निर्यातकों को साप्ताहिक आधार पर निर्यात मूल्य की समीक्षा करनी पड़ रही है।
बांग्ला देश में चावल के आयात पर सीमा शुल्क में 37 प्रतिशत की भारी कटौती कर दी गई है और सरकारी स्तर पर 5 लाख टन चावल मंगाने का निर्णय लिया गया है। इससे भारत को फायदा होने के आसार हैं।