iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि भारत में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में हुई बढ़ोत्तरी के बावजूद वैश्विक बाजार में भाव ऊंचे स्तर पर बरकरार है जिससे इसका आयात काफी महंगा बैठ रहा है और घरेलू बाजार मूल्य भी काफी ऊंचा होने से आम लोगों की कठिनाई बढ़ गई है लेकिन इसके बावजूद सरकार ने इस शुल्क वृद्धि को तत्काल वापस लेने की संभावना से इंकार कर दिया है।
सरकार का तर्क है कि देश को खाद्य तेल-तिलहन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए वर्तमान शुल्क संरचना को बरकरार रखने की आवश्यकता है। तिलहन उत्पादकों को इससे बेहतर मूल्य की वापसी सुनिश्चित हो सकेगी।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार कुछ खाद्य तेलों के वैश्विक बाजार मूल्य में आई तेजी से अवगत है जिसका प्रमुख कारण ब्राजील एवं अर्जेन्टीना जैसे देशों में शुष्क मौसम के कारण सोयाबीन की बिजाई प्रभावित होना है
लेकिन लम्बे समय तक खाद्य तेलों पर मूल्य प्रतिशत अथवा अत्यन्त नीचे स्तर का आयात शुल्क लागू रखने के बाद अब इसमें 22 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। घरेलू उपभोक्ताओं को नए मूल्य के साथ एडजस्ट करना होगा।
लेकिन अधिकारियों ने इस बात पर भी जोर दिया है कि पिछले महीने सीमा शुल्क में हुई बढ़ोत्तरी से पूर्व देश में जिस खाद्य तेल का सस्ते दाम पर आयात हुआ था, उद्योग को उसका दाम नहीं बढ़ाना चाहिए।
पिछले एक माह की तुलना में 23 अक्टूबर तक वैश्विक बाजार में सोयाबीन के दाम में 16 प्रतिशत, सूरजमुखी के भाव में 12 प्रतिशत एवं ऑयल पाम के मूल्य में 10 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया।
मालूम हो कि भारत सरकार ने 13 सितम्बर 2024 को क्रूड एवं रिफाइंड खाद्य तेलों पर बुनियादी आयात शुल्क में 20 प्रतिशत (सेस सहित 229 प्रतिशत) की बढ़ोत्तरी कर दी थी।
इसके फलस्वरूप अब क्रूड श्रेणी के खाद्य तेलों पर 27.5 प्रतिशत तथा रिफाइंड खाद्य तेलों पर 35.75 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू हो गया है।
उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 23 अक्टूबर को अखिल भारतीय स्तर पर सोयाबीन तेल का औसत खुदर मूल्य 137 रुपए प्रति लीटर, सूरजमुखी तेल का 142 रुपए प्रति लीटर तथा पाम तेल का 123 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया जबकि एक माह पूर्व यह भाव क्रमश: 127 रुपए, 129 रुपए तथा 110 रुपए प्रति लीटर चल रहा था। सरसों तेल का खुदरा मूल्य भी इस अवधि में 151 रुपये से 13 रुपए बढ़कर 164 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया।