iGrain India - लुधियाना । हालांकि केंद्रीय खाद्य मंत्री ने आश्वस्त किया है कि पंजाब में चावल की खरीद नियत लक्ष्य के अनुरूप ही होगी लेकिन राज्य के गोदामों में मौजूद स्टॉक को अन्य राज्यों में भेजने में लम्बा समय लग सकता है और इसलिए चालू वर्ष की खरीद प्रभावित हो सकती है विश्लेषणों का कहना है कि अगर पंजाब सरकार को किसानो का असंतोष दूर करना है तो उसे मंडी शुल्क समाप्त करना होगा और आढ़तियों के कमीशन में कटौती करनी पड़ेगी।
यह बहुत कठिन काम है लेकिन इन उपायों से प्राइवेट व्यापारियों को किसानो से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद बढ़ाने का अच्छा प्रोत्साहन मिल सकता है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने पंजाब के गोदामों से प्रतिमाह 13-15 लाख टन खाद्यान्न (गेहूं, चावल, धान) का स्टॉक हटाने का लक्ष्य रखा है और 31 मार्च 2025 तक राज्य से 80-90 लाख टन अनाज को अन्य प्रांतो में भेजा जा सकता है।
सरकार ने चालू खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान 124 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है। धान की सरकारी खरीद 1 अक्टूबर से आरम्भ होकर 30 नवंबर तक जारी रहेगी।
अभी तक वहां महज 20.60 लाख टन चावल के समतुल्य धान खरीदा गया है जो पिछले साल की सामान अवधि में हुई खरीद करीब 32 लाख टन से 36 प्रतिशत कम है।
एक अग्रमी विश्लेषण के मुताबिक पंजाब के साथ असली समस्या यह है कि वहां मंडी शुल्क एवं कमीशन का स्तर बहुत ऊंचा है जिससे प्राइवेट व्यापारी वहां धान की खरीद से कतराते है यद्यपि केंद्र सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि उसने मार्किट फ़ीस तथा कमीशन के लिए जो उच्चतम सीमा निर्धारित कर रखा है
उसकी तुलना में कम राशि का भुगतान होना चाहिए लेकिन फिर भी पंजाब में इसकी जो दरें लागु है वह व्यापारियों के लिए काफी ऊंची मानी जा रही है।
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ (ऐरिया) के एक अभूत पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि अन्य राज्यों के साथ पंजाब में व्यापारियों के लिए प्रर्तिस्पर्धा (व्यवसाय) का सामान धरातल उपलब्ध होना चाहिए और मंडी शुल्क तथा कमीशन का स्तर ज्यादा ऊंचा नहीं रहना चाहिए। सरकार को चावल मिलर्स की समस्याओ को भी समझने और दूर करने पर ध्यान देना चाहिए।