iGrain India - पुणे । देश के सबसे प्रमुख चीनी उत्पादक प्रान्त- महाराष्ट्र के मिलर्स ने केन्द्र सरकार को आगाह किया है कि यदि चीनी के एक्सफैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में तत्काल बढ़ोत्तरी नहीं की गई और तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के लिए एथनॉल की खरीद का मूल्य नहीं बढ़ाया गया तो चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान राज्य में प्राइवेट क्षेत्र की चीनी मिलों में गन्ना की क्रशिंग देर से शुरू हो सकती है। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में चीनी मिलों को 15 नवम्बर से गन्ना की क्रशिंग आरंभ करने की अनुमति प्रदान की है।
वेस्टर्न इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) का कहना है कि गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में प्रत्येक साल बढ़ोत्तरी की जा रही है जिससे चीनी का लागत खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है।
दूसरी ओर चीनी का एमएसपी वर्ष 2019 से ही स्थिर है और इसमें कोई वृद्धि नहीं हुई है। विस्मा के प्रतिनिधियों द्वारा केन्द्र सरकार को एक अर्जेन्ट ज्ञापन दिया गया है जिसमें चीनी के एमएसपी में 7 रुपए प्रति किलो तथा एथनॉल के खरीद मूल्य में 5 से 7 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की मांग की गई है।
विस्मा के प्रतिनिधियों ने सरकार से इन दोनों मांगों को 15 नवम्बर से पूर्व स्वीकार करने का आग्रह किया है ताकि गन्ना की क्रशिंग में बड़े पैमाने पर पड़ने वाले व्यवधान को टाला जा सके और गन्ना उत्पादकों को परेशानी से बचाया जा सके।
एसोसिएशन का कहना है कि सरकार के पास इस आशय का प्रस्ताव विचाराधीन था लेकिन उसे स्थगित कर दिया गया। यह चीनी उद्योग के लिए बड़ा आघात है। चीनी का एमएसपी अंतिम बार वर्ष 2019 में बढ़ाया गया था जबकि गन्ना का एफआरपी हरेक साल बढ़ाया जा रहा है।
एसोसिएशन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में चीनी उद्योग का अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान रहता है और यह दूसरा सबसे बड़ा सहायक उद्योग है जो लाखों किसानों एवं श्रमिकों की आजीविका का प्रमुख स्रोत बना हुआ है। इसके बावजूद चीनी उद्योग को केन्द्र एवं राज्य सरकार को ओर से बहुत कम सहयोग-समर्थन मिलता है।