iGrain India - शिकागो । एक अग्रणी उद्योग विश्लेषक का कहना है कि आयातक देशों की बढ़ती मांग को देखते हुए तिलहन-तेल का वैश्विक बाजार भाव आगामी समय में भी ऊंचा और मजबूत रह सकता है।
तिलहन-तेल विषय के विश्व प्रसिद्ध न्यूज लेटर-ऑयल वर्ल्ड के सम्पादक के अनुसार 2024-25 के विपणन वर्ष में तिलहनों के उत्पादकों एवं खरीदारों को ऊंचे दाम पर सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। इसका प्रमुख कारण विश्व स्तर पर वनस्पति तेलों की मांग में वृद्धि का सिलसिला कायम रहना है।
हाल ही में समाप्त हुए मार्केटिंग सीजन के दौरान खाद्य तेलों की वैश्विक मांग में 59 लाख टन का इजाफा दर्ज किया गया। 2024-25 के मार्केटिंग वर्ष के दौरान 17 प्रमुख किस्मों के वनस्पति तेलों एवं वसाओं की वैश्विक आपूर्ति (उपलब्धता) में 16 लाख टन का इजाफा होने का अनुमान है जबकि इसकी मांग में इससे कहीं ज्यादा बढ़ोत्तरी होगी।
पाम तेल की अगुवाई में वनस्पति तेलों का भाव पहले से ही ऊंचे स्तर पर बरकरार है। विश्लेषक के मुताबिक केवल पिछले पांच सप्ताहों में यानी 24 अक्टूबर 2024 तथा चार प्रमुख किस्मों के खाद्य तेल की कीमतों में 110 से 180 डॉलर प्रति टन या 10 से 18 प्रतिशत तक की जोरदार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
आगामी महीनों के दौरान वनस्पति तेलों की मांग मजबूत रहने की उम्मीद है। इन खाद्य तेलों एवं वसाओं की सकल वैश्विक खपत में ऊर्जा क्षेत्र की भागीदारी के कारण आगामी वर्षों के दौरान पाम तेल, सोयाबीन तेल, रेपसीड / कैनोला तेल एवं सूरजमुखी तेल की खपत पर निर्भरता बढ़ने के आसार हैं और इसके उत्पादन में अपेक्षित बढ़ोत्तरी नहीं होने पर कीमतों में स्वाभाविक रूप से तेजी-मजबूती का माहौल बन सकता है।
कनाडा में कैनोला का दाम अमरीकी सोयाबीन तेल की कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव से काफी हद तक प्रभावित होता है। शिकागो एक्सचेंज में निकटवर्ती पोजीशनों के लिए 5 नवम्बर को सोयाबीन तेल का वायदा भाव 45 सेंट प्रति पौंड के करीब दर्ज किया गया जो 16 अगस्त के निम्न स्तरीय वायदा मूल्य की तुलना में 16 प्रतिशत ऊंचा था।
दरअसल उस समय अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) ने 2024-25 सीजन के दौरान अमरीका में सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया था।