iGrain India - नई दिल्ली । आर्थिक मामलों की केन्द्रीय कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने वर्तमान वित्त वर्ष (2024-25) के लिए सरकारी एजेंसी- भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में 10,700 करोड़ रुपए की इक्विटी के समावेश (इन्फ्यूजन) को स्वीकृति प्रदान कर दी है ताकि निगम की क्रियाशील पूंजी की जरूरतों को पूरा किया जा सके।
इक्विटी में वेज एंड मीन्स एडवांस को रूपांतरित करते हुए इस इक्विटी का सामनेशन किया गया है। दरअसल तेज एंड मीन्स एडवांस (डब्ल्यू एम ए) सरकार द्वारा एफसीआई को दिया जाने वाला एक अस्थायी कर्ज है ताकि निगम को सरकारी प्राप्तियों एवं भुगतान के बीच अंतर को पाटने में सहायता मिल सके।
खाद्य निगम को उसी वित्त वर्ष में 31 मार्च तक इस डब्ल्यू एमए का निश्चित रूप से पुनर्भुगतान करना होता है। इस कर्ज के लिए ब्याज दर वही रहती है जो सम्बद्ध वित्त वर्ष के लिए 364 दिवसीय ट्रेजरी बिल के लिए भारित औसत ब्याज की दर होती है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अब भारत सरकार ने एफसीआई के लिए 10,700 करोड़ रुपए की इक्विटी की विशाल धनराशि की स्वीकृति प्रदान कर दी है जिससे खाद्य निगम की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और उसके प्रयासों तथा क्रियाकलापों को सहारा मिल सकेगा।
उल्लेखनीय है कि भारतीय खाद्य निगम खाद्यान्न की खरीद तथा उसके भंडारण- वितरण के लिए सबसे प्रमुख सरकारी एजेंसी है और प्रत्येक वर्ष उसे धान (चावल) तथा गेहूं सहित अन्य अनाजों की खरीद पर विशाल धनराशि खर्च करनी पड़ती है।