iGrain India - विराटनगर । हालांकि भारत सरकार ने करीब डेढ़-दो माह पूर्व गैर बासमती संवर्ग के सफेद एवं सेला चावल के निर्यात प्रतिबंधों एवं शुल्कों से मुक्त कर दिया था और बासमती चावल तथा सफेद सामान्य चावल पर लगे न्यूनतम निर्यात मूल्य को भी वापस ले लिया था मगर फिर भी नेपाल में चावल का भाव काफी ऊंचे स्तर पर बरकरार है।
उल्लेखनीय है कि नेपाली शहरों के अधिकांश निवासी फाइन क्वालिटी एवं लम्बे दाने वाले चावल का उपयोग करते हैं जिसका भारत से आयात किया जाता है और नेपाल में उसकी पैकिंग होती है। नेपाल में इन महंगी किस्मों के चावल का बहुत कम या नगण्य उत्पादन होता है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार अगले कुछ सप्ताहों में चावल का दाम घटना शुरू हो सकता है क्योंकि धान के नए माल की आवक आरंभ हो गई है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान नेपाल में लगभग 22 अरब रुपए मूल्य के चावल एवं धान का आयात किया गया था।
जुलाई में वह सीजन समाप्त हो गया। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने जुलाई 2023 में ही सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन फिर भी नेपाल को समय-समय पर इसका निर्यात होता रहा।
उससे पूर्व 2021-22 के दौरान नेपाल में भारत से 47.35 अरब रुपए मूल्य के धान-चावल का आयात किया गया था जो 2020-21 सीजन के आयात खर्च 50.48 अरब रुपए से कुछ कम था। भारत सरकार द्वारा निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के तत्काल बाद नेपाल में चावल का भाव 25 किलो की बोरी के लिए 200-250 रुपए बढ़ गया था।
भारत सरकार ने 27 सितम्बर 2024 को निर्यात प्रतिबंध हटा दिया लेकिन सफेद चावल पर 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) लागू कर दिया।
सेला चावल पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत नियत किया गया और फिर 23 अक्टूबर को एक अधिसूचना जारी करके सरकार ने मेप तथा निर्यात शुल्क को वापस ले लिया।
दिलचस्प तथ्य यह है कि नेपाल में जीरा मजीनो चावल का भाव बढ़कर 2500 रुपए प्रति बोरी (25 किलो) पर पहुंच गया था जो अब 100 रुपए नीचे आ गया है।
भारत में निर्यात पाबंदी लागू होने से पूर्व इसका दाम महज 1600 रुपए प्रति बोरी चल रहा था। नेपाल में भारत से चावल का आयात पुनः शुरू हो गया है जिससे कीमतों में थोड़ी नरमी आ सकती है।