iGrain India - हल्दी उत्पादन पूर्वानुमानों की तुलना में कम - निजामाबाद को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में फसलों को नुकसान नई दिल्ली । विगत कुछ समय से हल्दी बाजार में निर्यात एवं लोकल व्यापार कम होने के कारण कीमतें 100/200 रुपए मंदा-तेजी के बीच ही घूम रही है। मगर सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2025 में हल्दी के भाव तेज रहने के अनुमान लगाए जा रहे है। हालांकि आने वाली फसल गत वर्ष की तुलना में अधिक रहेगी। लेकिन उत्पादन बिजाई के समय लगाए गए अनुमानों की तुलना में कम रहेगा साथ ही बकाया स्टॉक भी गत वर्ष की तुलना में कम रहने के समाचार है। हाजिर बाजारों के साथ-साथ वायदा बाजार में भी हल्दी की कीमतें सीमित दायरे में बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि चालू सप्ताह के शुरू में हल्दी दिसम्बर वायदा 13010 रुपए खुला था जोकि सप्ताह के अंत में 13100 रुपए पर बंद हुआ। अप्रैल माह का हल्दी वायदा 14070 रुपए खुलने के पश्चात सप्ताह के अंत में 13958 रुपए पर बंद हुआ है। उत्पादन पूर्वानुमान से कमजानकार सूत्रों का कहना है कि चालू सीजन के दौरान तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के अलावा महाराष्ट्र में भी हल्दी की बिजाई का क्षेत्रफल गत वर्ष की तुलना में 30/40 प्रतिशत अधिक रहा है लेकिन बिजाई के पश्चात फसलों को नुकसान होने के कारण उत्पादन के जो पूर्वानुमान 80/82 लाख बोरी के लगाए जा रहे थे। वर्तमान में घटकर 70/75 लाख बोरी के लगाए जाने लगे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में कीड़ा लगने के कारण फसल को नुकसान हुआ है जबकि तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में बारिश में फसल को नुकसान के समाचार मिल रहे हैं। निजामाबाद लाइन पर फसल की स्थिति अच्छी बताई जा रही है।पांच वर्षों में उत्पादन विगत पांच वर्षों के दौरान वर्ष 2024 के दौरान हल्दी का उत्पादन सबसे कम रहा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में देश में हल्दी उत्पादन के व्यापारिक अनुमान 94/95 लाख बोरी के लगाए गए थे जबकि वर्ष 2021 में 85/90 लाख बोरी एवं वर्ष 2022 में 78/80 लाख बोरी उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। वर्ष 2023 में उत्पादन 82/85 लाख बोरी का रहा था जबकि वर्ष 2024 में उत्पादन 45/50 लाख बोरी का माना गया था। वर्ष 2025 में उत्पादन के पूर्वानुमान 70/75 लाख बोरी के लगाए जा रहे हैं। खपत एवं उपलब्धता जानकार सूत्रों का कहना है कि निर्यात एवं लोकल खपत को मिलाकर सालाना लगभग एक करोड़ बोरी की आवश्यकता होती है जबकि चालू सीजन के दौरान 70/75 लाख की नई पैदावार के अलावा बकाया स्टॉक का अनुमान 15/18 लाख बोरी का लगाया जा रहा है। खपत की टूना में उपलब्धता कम रहने के कारण वर्ष 2025 में हल्दी के भाव अच्छे रहने की संभावना है। राज्यवार उत्पादन अनुमान जानकार व्यापारियों का कहना है कि अभी तक कि फसलों की स्थिति को देखते हुए संभावना व्यक्त की जा रही है कि आने वाली मराठवाड़ा की फसल 30/32 लाख बोरी के आसपास रहेगी। जबकि सांगली लाइन पर उत्पादन 8/10 लाख बोरी रहने की संभावना है। तमिलनाडु में उत्पादन अनुमान 10/12 लाख बोरी के लगाए जा रहे है। जबकि निजामाबाद में उत्पादन 12/14 लाख बोरी माना जा रहा है। आंध्र प्रदेश में उत्पादन 2/3 लाख बोरी होने की संभावना है। अन्य क्षेत्र में उत्पादन 3/4 लाख बोरी होने की संभावना है। आयात कम विगत 5 वर्षों से हल्दी आयात में गिरावट दर्ज की जा रही है। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019-20 में हल्दी का आयात 28580 टन का किया गया था जोकि वर्ष 2020-21 में घटकर 25709 टन एवं वर्ष 2021-22 में 24480 टन का रहा। वर्ष 2022-23 में आयात 16769 टन वर्ष 2023-24 में 14638 टन का रह गया। निर्यात चालू सीजन 2024-25 के प्रथम छह माह में हल्दी का निर्यात लगभग गत वर्ष के बराबर रहा। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-सितम्बर- 2024 में हल्दी का निर्यात 92911.47 टन का रहा। जबकि गत वर्ष इसी समयावधि में निर्यात 92025.12 टन का रहा था। कोरोना महामारी के दौरान हल्दी का रिकॉर्ड निर्यात हुआ था। जिस कारण से वर्ष 2020-21 में हल्दी का निर्यात 183868 टन का हुआ जबकि वर्ष 2019-20 में निर्यात 137650 टन का रहा था। वर्ष 2021-22 में निर्यात 152758 टन एवं वर्ष 2022-23 में निर्यात 170085 टन का हुआ था। वर्ष 2023-24 में निर्यात 162019 टन का रहा।