iGrain India - बंगलोर । प्रतिकूल मौसम एवं अनियमित बारिश से फसल को हुए नुकसान के कारण कालीमिर्च के घरेलू उत्पादन में 2024 के मुकाबले 2025 में करीब 25-30 प्रतिशत औद्योगिक मांग को पूरा करने के लिए विदेशों से इसका आयात बढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
भारत में कालीमिर्च का आयात मुख्यत: श्रीलंका, वियतनाम, इंडोनेशिया एवं ब्राजील जैसे देशों से किया जाता है। आयात बढ़ने की आशंका से स्वदेशी उत्पादकों की चिंता बढ़ गई है।
एक अग्रणी संस्था- यूनाइटेड प्लांटर्स एसोसिएशन ऑफ साउथ इंडिया (उपासी) के अनुसार इंटरनेशनल परिसर कम्युनिटी (आईपीसी) ने वर्ष 2024 में कालीमिर्च का वैश्विक उत्पादन घटकर 5.33 लाख टन रह जाने का अनुमान लगाया था जो वर्ष 2023 के उत्पादन से 10 हजार टन कम रहा।
इसका प्रमुख कारण वियतनाम में पैदावार कमजोर होना था। वहां इसका उत्पादन 20 हजार टन घटकर 1.70 लाख टन पर अटक गया।
लेकिन वर्ष 2025 के दौरान वियतनाम में कालीमिर्च का उत्पादन तेजी से बढ़कर 2.00 लाख टन तक पहुंच जाने का अनुमान है।
मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 के दौरान भारत में कालीमिर्च का उत्पादन गत वर्ष के मुकाबले 8 हजार टन बढ़कर 1.24 लाख टन की शीर्ष ऊंचाई पर पहुंच गया मगर वर्ष 2025 में लुढ़ककर 77,500 टन पर अटक जाने की संभावना है।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाई में यानी अप्रैल-सितम्बर 2024 के दौरान देश से 10,150.41 टन कालीमिर्च का निर्यात हुआ जो गत वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 2056.49 टन ज्यादा रहा।
दूसरी ओर उसी अवधि में विदेशों से इसका आयात 4686 टन से 84.2 प्रतिशत उछलकर 8631 टन पर पहुंच गया। कालीमिर्च का भाव वर्तमान समय में गार्बल्ड श्रेणी के लिए 665 रुपए प्रति किलो तथा अन गार्बल्ड किस्म के लिए 645 रुपए प्रति किलो चल रहा है जो किसानों की दृष्टि से लाभप्रद स्तर है।