iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार सात कृषि जिंसों एवं उसके डेरीविटिव्स में वायदा कारोबार पर पिछले तीन साल से लगे प्रतिबंध को हटाने पर विचार कर रही है। इसमें गेहूं एवं धान भी शामिल है।
इस सम्बन्ध में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि वायदा कारोबार पर लगी रोक किसानों के लिए हानिकारक साबित हो रही है।
एक सहकारी पैनल ने प्रतिबंध को हटाने की सिफारिश की है। उसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021 में सात कृषि उत्पादों में वायदा व्यापार को स्थगित किया गया था ताकि उसकी बढ़ती हुई कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।
लेकिन इस निर्णय से बाजार मूल्य डिस्कवरी में बाधा पड़ रही है। फसलों की कटाई-तैयारी एवं मंडियों में भारी आवक होने से स्थानीय स्तर पर कृषि उत्पादों का मूल्य भी काफी हद तक स्थिर हो गया है।
जानकारों का कहना है कि वायदा व्यापार पर लगी पाबंदी को हटाने के बारे में विचार तो किया जा रहा है लेकिन इस सम्बन्ध में अंतिम निर्णय मंत्रियों की एक समिति द्वारा ही किया जाएगा।
उसके बाद नियामक संस्था- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को या तो प्रतिबंध को हटाने या इसकी अवधि को 31 जनवरी 2025 से आगे बढ़ाने के लिए कहा जाएगा ध्यान देने की बात है
कि वायदा व्यापार पर लगे स्थगन की अवधि 20 दिसम्बर 2024 को समाप्त होने वाली थी लेकिन सेबी ने उससे पूर्व ही इसकी समय सीमा 31 जनवरी 2025 तक बढ़ा दी।
पहले इसकी अवधि एक साल के लिए बढ़ाई जाती थी लेकिन इस बार केवल 40-42 दिन के लिए बढ़ाई गई जिससे कयास लगाया जाने लगा कि शीघ्र ही सरकार इस प्रतिबंध को समाप्त कर सकती है।
जिन सात कृषि जिंसों एवं उसके मूल्य संवर्धित उत्पादों में वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगा हुआ है। उसमें गैर बासमती धान, गेहूं, चना, मूंग, सोयाबीन एवं इसके उत्पाद, सरसों एवं इसके उत्पाद तथा क्रूड पाम तेल शामिल हैं।
सोयाबीन का थोक मंडी भाव घटकर सरकारी समर्थन मूल्य से काफी नीचे आ गया है जिससे किसानों को घाटा हो रहा है।