iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा घरेलू बाजार भाव में तेजी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वर्ष 2021 में सात जिंसों एवं उसके मूल्य संवर्धित उत्पादों (डेरिवेटिव्स) में वायदा कारोबार को एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया था और बाद में एक-एक साल के लिए इसकी अवधि बढ़ाई गई।
इन जिंसों में गैर बासमती धान, गेहूं, चना, मूंग, सोयाबीन एवं इसके उत्पाद, सरसों एवं उसके उत्पाद तथा क्रूड पाम तेल (सीपीओ) शामिल हैं।
अंतिम बार 20 दिसम्बर 2024 को प्रतिबंध की अवधि समाप्त होने वाली थी मगर नियामक संस्था- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इसे 31 जनवरी 2025 तक बढ़ा दिया।
हालांकि गेहूं एवं चना का भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है और गैर बासमती धान, सरसों तथा मूंग का दाम भी काफी हद तक न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास ही मंडरा रहा है लेकिन सोयाबीन और इसके उत्पादों की कीमतों में भारी गिरावट आ गई है जिससे किसान और उद्योग बेहद परेशान है।
एक विशेषज्ञ समिति ने कृषि जिंसों में वायदा कारोबार पर लगे प्रतिबंध को हटाने की सिफारिश की है जिस पर गम्भीरतापूर्वक विचार किया जा सकता है लेकिन सरकार के समक्ष कुछ दुविधा भी मौजूद है।
वायदा कारोबार को दोबारा खोलने पर कीमतों में कुछ तेजी आ सकती है जबकि गेहूं एवं चना का ऊंचा भाव पहले से ही सरकार के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।
खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20 प्रतिशत बिंदु की वृद्धि होने से इसका आयात महंगा हो गया है। इसे देखते हुए सभी सात जिंसों एवं उसके उत्पादों में वायदा कारोबार की स्वीकृति देने में सरकार को कठिनाई हो सकती है। कुछ जिंसों में अनुमति दी जा सकती है।